खुद को समेटे लिया है हमने,
अब रिश्तों की भीड़ से थोड़ा बचना सिख लिया है हमने-
कविता । शायरी । एहसास
💌 दिल से दिल।की बात
खुद को समेटे लिया है हमने,
अब रिश्तों की भीड़ से थोड़ा बचना सिख लिया है हमने-
Ladkiya sirf ladkiya hi nhi hoti vo apne baap ki izzat aur maa ka gurur bhi hoti h
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