आज थोड़ा वक्त मिला , काम नही था ज्यादा। लेटे लेटे बस अतीत में खो गया। यादों का सफर गांव से होते हुए स्कूल को पहुंच गया।सारे दोस्त याद आने लगे । फिर अचानक से याद आया मेरे पास स्कूल के टाइम की डायरी।
फिर तो मैं खोजने लगा उसे, बहुत दिनों से देखा नही था। बहुत खोजने पर मुझे मेरे एक पुराने बॉक्स में मिला।।
पहला पन्ना पलटते ही स्कूल की सारी यादें तेज़ हो गई। और इन यादों में वो भी याद आ गई। इस डायरी ने सब कुछ संभाल के रखा था, मेरे शेरो शायरी , सुविचार , स्कूल के अनुभव बहुत कुछ। कुछ पन्नो को और पलटा तो लगा कितने सपने थे उस वक्त जिंदगी को जीने के कुछ पाने के। कुछ जिया भी कुछ पाया भी पर जिंदगी वैसी नही चलती जैसी डायरी में लिखते हैं ।
दोस्तों के लिखे हुए पन्नो को एक एक कर के पढ़ता गया, जैसे जैसे पढ़ता दिल भारी और आंख भर रही थी। सब कुछ सारी मस्ती हंसी खेल सब याद आने लगा । डायरी लिखते वक्त सभी दोस्तों ने वादा किया था मिलते रहेंगे , लिखते रहेंगे , जुड़े रहेंगे पर पुरानी डायरी की तरह सब यादों में ही रह गए हैं।
पन्ना पलटते पलटते वो पन्ना आ गया जिसपे उसने भी लिखा था। बिना पढ़े ही आंखों से आंसू बहने लगे। प्यार के आंसू या प्यार ना मिल पाने का आंसू मैं समझ नहीं पाया ।
पुरानी डायरी ने पुरानी यादों को फिर से नया कर दिया ।।
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