Doc RamKrishna Mishra   (Dr.राm कृshna मिshra (क़लम 🖋️))
140 Followers · 49 Following

Insta@docmishra
Joined 31 October 2019


Insta@docmishra
Joined 31 October 2019
29 APR AT 20:21

किशोरी तेरे चरनन को यमुना जल नहलाऊं ।
बैठ एकान्त कोने में श्री राधावल्लभ गाऊं ।।

वाम-अंग संग मिल कमल-चरण पखराऊं ,
श्यामल-गौर चरणामृत चख नित-निज भाग जगाऊं ।

किशोरी तेरे चरनन को यमुना जल नहलाऊं ।

रेशम के अचरा से चरण-कमल पियूष-बिन्दु सुखाऊं ,
पुष्प सुगन्धित चरणों में अर्पित कर पुनि-पुनि शीश झुकाऊं ।

किशोरी तेरे चरनन को यमुना जल नहलाऊं ।

कोमल सुमन पल्लव लता-द्रुम से झूला-कुन्ज सजाऊं ,
पधारो श्यामा-श्याम तोहे निरखि-निरखि खूब झुलाऊं ।

किशोरी तेरे चरनन को यमुना जल नहलाऊं ।
बैठ एकान्त कोने में श्री राधावल्लभ गाऊं ।।

-


20 MAR AT 15:12

राधे - राधे गाये जा ।
पाप का घड़ा घटाये जा ।।

घट-घट में जो रमता है ,
उसी के हाथों में क्षमता है ,
नाम उसी का दोहराये जा ,
कितनों को उसने तार दिया ,
तू भी भव-सागर तर जाएगा ।

राधे - राधे गाये जा ।
पाप का घड़ा घटाये जा ।।

श्वास-श्वास में जो भजता है ,
उसी के दिल में समता है ,
नाम उसी का दोहराये जा ,
कितनों को उसने अपनत्व दिया ,
तुझको भी वो अपनायेगा ।

राधे - राधे..................जा ।।

-


19 MAR AT 16:29

नित - नित भोग लगाऊं ,
रोज़ लगाऊं गुहार तिहारी ।
किस विधि तुम्हें जिमाऊं ?
स्वयं बता दो राधिका-बिहारी ।।

मन से मैं तुम्हें पुकारूं ,
बड़े भाव से भोग लगाऊं ।
कब खाओगे संग मेरे ?
स्वयं बता दो राधिका-बिहारी ।।

मैं न जानूं पूजा-पद्धति ,
क्षमा करो जो त्रुटि हो हमारी ।
कब मेरा अर्पण स्वीकार करोगे ?
स्वयं बता दो राधिका-बिहारी ।।

मैं नीच-अधम हूं बहुत पुराना ,
अब शरणागत हूं तिहारी ।
कब मुझको स्वीकार करोगे ?
स्वयं बता दो राधिका-बिहारी ।।

-


18 MAR AT 15:58

मेरे कान्हा का रूप क्या बताऊं तुमको ,
सारे जगत में कोई नहीं ऐसी सुन्दर छवि वाला है ।
नीली-नीली आंखों में उसकी जादूगरी है ऐसी ,
निहारे जो सुध-बुध भूल उन्हीं में डूब जाने वाला है ।

रंग बदन का उसके अनोखा बड़ा प्यारा है ,
जैसे चांदनी रात में काले मेघ के पीछे से झांकता उजाला है ।
कोमल है इतना कि छूने को मचलता है दिल ,
मथकर प्रेम रस हृदय से जैसे किसी ने नवनीत निकाला है ।

-


2 MAR AT 12:18

तुझे मोहन कहूं या राधा ,
तुझे प्रीत कहूं या ओंकारा ।

( Please read full in caption )

-


23 FEB AT 18:16

रे पगले तू किस बात पर है दुखी ,
विधाता की है ये सारी जादूगरी।
वो खेलता खुद ही खुद से यहां ,
बेखयाली में तू समझता है अपना जहां ।।

घट फूटते ही यहां सब बिखर‌ जाएगा ,
खाली हाथ आया था खाली हाथ जाएगा।
जो कुछ मोहवश हो रहा है तुझको भरम ,
श्मशान में ठहर कुछ देर सब भरम मिट जाएगा।।

वक्त रहते कुछ सीख ले जो सीखना है ,
इसका काम है चलना चलता ही जाएगा ।
श्वासों की माला में गूंथ ले नाम हरि का ,
फिर जनम-जनम का फेर टल जाएगा ।।

-


21 FEB AT 17:23

क्या सोचते हो तुम क्या साथ ले जा सकोगे ?
खाली हाथ आए थे खाली हाथ जा सकोगे ।।
यहां तुम बना लो कितना भी कुबेर सा खजाना ।
मुक़द्दर में लिखा है हर किसी के खाली हाथ जाना ।।

चलती नहीं शिफारिश न लेता वहां कोई घूस है ।
न्याय होता है वहां कर्मों का हिसाब होता भरपूर है ।।
कमाई जो कर लोगे प्रभु नाम की भरपूर यहां ।
फिर चौरासी-लाख योनियों में न जाना पड़ेगा ।।

वक्त ने दिया है मौका तू सोचता है क्या ?
याद कर ले प्रभू को नहीं तो पछताना पड़ेगा ।।
अन्त समय न भज पायेगा नाम उसका ।
खाली हाथ आया था खाली हाथ जाना पड़ेगा ।।

-


20 FEB AT 17:23

व्योम से है जो ऊंचा उसे पाना पड़ेगा ।
हल्का होकर खुद को शून्य बनाना पड़ेगा ।।
तभी तो व्योम के पार जा सकोगे निर्बाध तुम ।
लौटकर फिर न कभी तुमको आना पड़ेगा ।।

वो जो है सूक्ष्म इतना कि दिखाई नहीं देता ।
घटाकर तुम्हें खुद को बौना बनाना पड़ेगा ।।
तब जाकर कहीं बूझ पाओगे पता उसका ।
जानकर फिर कभी न कुछ पूछना पड़ेगा ।।

कण-कण में जो है रमा ज़ब्त तुझमें भी तो है ।
सिर झुकाकर तुझको खुद में झांकना पड़ेगा ।।
मिल जाएगा वो तेरे दिल के भीतर ही तुझको ।
ज़माने भर में न कहीं और उसको ढूंढना पड़ेगा ।।

-


20 FEB AT 11:38

हे! राधा -रानी मुझको पास अपने बुलाना ,
मैं अधम हूं इतना कैसे पास आऊं तुम्हारे ?
दया - दृष्टि करके स्वयं ही पास बुलाना ।

हे! लाडो-रानी मुझको कान्हा से अपने मिलाना ,
मैं चाहूं तेरे श्याम को मगर कैसे मनाऊं उसे ?
कृपा करके श्यामा-जू प्यारी बस इतना बताना ।

हे! कृष्ण -प्यारी मुझको निकुंज में अपने बुलाना ,
मैं गुजारूं पल - पल अपना सेवा में तुम्हारी ,
जल्दी से बुलाओ मइया और न धीरज धराना ।

हे! वृन्दावन-दुलारी मुझको धाम में दे दो ठिकाना ,
मैं जपता रहूं हर श्वास में नाम राधा - राधा ,
एक तू ही है मेरा सहारा बस तुझको है रिझाना ।

-


7 FEB AT 17:33

मन की माया मन ही जाने ,
मानव इसकी मनमर्जी से हारा ।
बिन कृपा के पार न कोई पाया,
सबको इससे सत्संग ने उबारा।।

भगवन ने सकल संसार रचाया,
भ्रम से रूप सजाया सारा ।
खुद को कण-कण में अव्यक्त किया,
लगता पर सच्चा सारा का सारा ।।

पर्दे पर चलता जैसे चलचित्र कोई ,
पर्दे के पीछे है कुछ और नजारा ।
पहचाने इस सच का मर्म वही ,
जिसके संग प्रभु कृपा का सहारा ।।

बनी रहे प्रभु दया-दृष्टि मुझ पर ,
मिटा दो अन्तस का कलुष सारा ।
प्रगट हों हृदय मन-मन्दिर में प्रभु ,
अंश का अंशी से मिलन हो प्यारा ।।

-


Fetching Doc RamKrishna Mishra Quotes