दलित राज़ ☀   (©दलित राज़)
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21 JUN 2022 AT 22:13

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19 JUN 2022 AT 18:12

कहीं शब ए गुलशन महकता है सांसों से
कहीं किसी को फर्क नहीं पडता लाशों से

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5 MAY 2022 AT 12:17

खून ए रिश्तों में भी , ना इस कदर तड़पा हूँ मैं
इक बूँद इश्क के लिए जिस कदर तरसा हूँ मैं

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20 APR 2022 AT 22:25

जिंदगी में जीत की खुशी पाने के लिए
हर हद से गुजर जाऊँगा मैं
गर जिंदगी ने पूछा कि खुशी मिली,तो
हाँ बोल के मुकर जाऊंगा मैं

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19 APR 2022 AT 20:10

इतना थक गया हूँ मैं जिंदगी में चलते चलते
मर जाऊँगा इकदिन हालात बदलते बदलते

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21 MAR 2022 AT 22:21

कभी पास कभी दूर आख़िर जुस्तजू क्या है
मेरी मंजिल बता भी दे तेरी आरजू क्या है

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13 JAN 2022 AT 1:40

कैसी किस्मत लेके निकल रहा हूं मैं
अपने बुने ख्वाब कुचल रहा हूं मैं
मुझको सुकूं की मौत भी नहीं आती
औ सुकूं की नींद को मचल रहा हूं मैं

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8 MAY 2021 AT 22:34

हर कविता इक समन्दर है
अल्फाज-ए-हर्फ किनारे हैं
ख्वाब हैं जिनको कहते हम
माँ की ममता के अश्रुधारे हैं

Love u mom 😘😘😘💖💖
Mujhe main banane ke liye
💖💖💕💕💕💓❤❤💘💘

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28 MAR 2021 AT 15:42

मेरे शोर को खामोशी सुना करती है
मेरे दिन , मेरी हालात चुना करती है

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25 MAR 2021 AT 13:49

आधी सोई आंखें
थके हुए पैर
दर्द भरा दिल
जख्मी शरीर
बे-जुबाँ आवाज
चिंता भरा कल
डरा हुआ आज
और जिंदगी का गम
बयां करते रहते हैं
मेरे कागज और कलम

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