dkot   (spoetry22✍️)
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Joined 17 January 2020


Joined 17 January 2020
17 JUN 2022 AT 0:40

खुश था अपने सपनों और तन्हाइयों के बीच ।
लेकिन कमबख्त ज़माने से वो भी न देखा गया ।।

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17 JUN 2022 AT 0:27

बेचैन है दिल और दिल कि बातें आज
लगता है धड़कने को दिल न बचा आज

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17 JUN 2022 AT 0:19

अब और न होगी हमसे बर्दाश्त ये वक्त कि नाराज़गी
जी करता है खुद के साथ इस वक्त को भी मार दूं

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29 JAN 2022 AT 23:01

वो दिन था जब बारहवीं की परीक्षा देकर मैं चैन से सोया था ,तबसे
आज तक वो चैन मुझे नहीं मिला है

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23 JAN 2022 AT 20:43

some days disturbing life makes a superb life then it's not a bad deal

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16 JAN 2022 AT 0:52

बहुत अजीब लगता है जब आपकी काबिलियत को आपसे ज्यादा बाहर वाला शख्स जानने का दावा कर देता है, ये सचमुच उसकी कोई अद्वितीय शक्ति है 🙎🏻‍♂️🤦🏻‍♂️🤷🏻‍♂️ 🙏🏻

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31 DEC 2021 AT 23:32

हर ग़म को अब खुद से जुदा कर,
अब कल कि , तू रब से दुआ कर ।
मत रख अब दिल में ज़रा भी हसद तू ,
हर चुनौती को कर क़ुबूल सिर उठा कर ।।

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4 DEC 2021 AT 13:19


इन अपनों का रवैया देख, मैं हताश तो हूं ।
पर हौसला भी मुझे इन लोगों से मिल रहा ।।
इन‌ अंधेरों को देख, मैं सहमा तो हूं ।
पर रौशन होने का सहारा भी इन अंधेरों से मिल रहा
सूनसान गलियों में खुद को अकेला देख, डरा तो हूं ।
पर इन गलियों से मंज़िल का रस्ता खोजने का, हौसला भी मिल रहा ।।
मेरे आस पास कुछ बुराईयां देख , घबराया तो हूं ।
पर इन बुराईयों में भी छिपि अच्छाई ढूंढने, मैं आज निकल रहा ।।
इन बुराईयों में भी छिपि अच्छाई ढूंढने, मैं आज निकल रहा ।।

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2 DEC 2021 AT 14:24

हारा हूं आज कल कि जीत के लिए
थम गया हूं आज कल उड़ने के लिए
अब और नहीं बचि है शक्ति लेकिन , शक्ति
मांग लाया हूं उधार कल कि जंग के लिए
हो रहा हूं तैयार कल कि जंग के लिए
हारा भी मैं आज कल कि जीत के लिए



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18 JUN 2021 AT 9:48

याद करते हो तो कभी पास भी बुलाया करो
हिचकियों से पुकारते हो कभी सामने भी आ जाया करो

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