Diya Paliwal   (Diya Paliwal)
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Joined 13 August 2020


Joined 13 August 2020
3 DEC 2023 AT 5:00

दिल बहल जाता है अब बेहलाने से
पर तेरी याद एक दफा , सुबह या शाम

मयखानो में आशिकों से इस तरह पूछो
नशा कौनसा , चश्म-ए-महबूब या जाम

शहर से लौटे एक नौजवान से बुजुर्ग बोले
मिले कुछ आदमी शहर में या केवल नाम

नज़्र-ए-आतिश ही लिखी है जब ज़िंदगी
कैसी नाराज़गी, है किसका गुरुर क्या शान

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13 APR 2023 AT 9:31

अगर मेहबूब सुनते होते तो ये शायर कह पाते आसान भाषा में आखों से बाते अपनी
पर अब ये बिचारे न गढ़ते लफ्जों के मोती पन्नों पर , ना उठाते कलम , तो करते क्या ?

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31 MAR 2023 AT 8:30

जब तक जीवन याद रहेगा
मुझको तेरा यह उपकार पिया
सफर है पूरा आधा तेरा साथ पिया

हंसते सुमन हम हैं तेरे हृदय के
विरहाग्नि में न हमें झोंक पिया

मैं जल सी धीर तू है अग्नि सा वीर
बता किस तरह तुझमें मिल जाऊं पिया

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25 DEC 2022 AT 20:49

मैं चाहूं तो इन सर्द फिज़ाओ से सज सकती हूं मगर तेरे अलावा
कोई देखे और वाह करे, निकलूं गली कूचे से तो कोई आह करे
मुझे पसंद नहीं!!
मैं चाहूं तो समेट लूं आंगन में फैली ग़ुबार सी ये तमाम खुशियां
पर उन खुशियों की चमक देख, तू तेरे तोहफ़े को किनारे रखे
मुझे पसंद नहीं!!
एक अरसा हुआ मैं नहीं मिलती किसी दोस्त से ए मेरे दोस्त!!
किसी जुमले में तेरे मेरे त'अल्लुक़-ए-ख़ातिर का ज़िक्र हो अब
मुझे पसंद नहीं!!

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20 DEC 2022 AT 14:18

गम छुपाने के
हजारों तरीकों में
सबसे मुश्किल
पर कारगार
तरीका है "मुस्कुराना"!!

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3 DEC 2022 AT 22:15

मुसाफ़िर मरते होंगे राहों पर , मेहबूब पे शायर
मैं ना जाने कौन हूं? राहों पे चलती हूं मंजिल से डरती हुं
इबादत मोहब्बत की , मोहब्बत की ही हरदम तौहीन करती हूं
ऊंचे आसमां को देखते देखते दरिया से गहरे सपने बुनती हुं
दरख्तों पे घर , पर जमीं पर पड़े "पर" देख मैं हैरान होती हुं
ऊंची उड़ानें, जमीं पर पड़े दाने!!मैं ये कैसे कर लेती हुं ?
पर इसी अंतर में मैं जीवन का सार खोजती हुं समझती हुं

खुदा , मोहब्बत, शक्सियत, दोस्ती, रिश्ते मिट्टी का घर हो जैसे
बनाकर तोड़ने का बचपना मैं हर मर्तबा आख़िर क्यूं करती हुं

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3 DEC 2022 AT 21:58

बर्बाद तो मुझे सहारे किया तूफ़ान से तो मैं मज़बूत हुई थी!!

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1 DEC 2022 AT 23:38

अकेलेपन की नदी में उतर जाना बेहतर है उम्मीदों का पुल चढ़ने से
सुना है... , उस ऊंचाई से गिरकर लोग मरते नहीं पर मर जाते है!!

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15 NOV 2022 AT 11:23

परवरिश की जीत!!

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18 OCT 2022 AT 16:32

खो दिया उसे तो भी कोई मसला नहीं
जो पा लेती तो एक बड़ा हादसा होता।

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