गम-ए-ज़ार हैं यूं कि मोहब्बत के तलबगार रहे है हम,,
नामों निशान् मिट गए खुशियों के, कि दर्द भी अब तो किसी से बांटते नहीं हम ,,
जर्रे जर्रे छीन लिया चैन उसने, इल्ज़ाम फिर भी नहीं लगा पाते दिल पर मनाही लगाते रहे हैं हम ,,
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बात गहरी हों तो, ज़रा दिल... read more
कुछ लोग कहते है कि बदल गए हैं हम
पर सच्चाई तो ये है कि, अब सम्भल गए है हम-
कुछ वो लड़के जिनसे
ताउम्र प्रेम किया जा सकता हैं
चाहे उनके साथ न भी हो....-
रिश्तों से डरते है कि सबने इतना ठगा है,,
गले लगा कर पीठ में खंजर भौंका है ।
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आसान नहीं होता यूं पत्थर हो जाना
हर सर्द और तपिश को सहना पड़ता हैं
तुम नहीं जान पाओगे मेरी पीड़ा जाना
उसके लिए उस दर्द से गुजरना पड़ता हैं-
मेरे वजूद में अब खुद को तलाशती हूं,
मैं अब वो नहीं, जो औरों को दिखाती हूं।
लौ बिना मैं एक खाली दीया हूं,
अंधेरों में जो अब जिया करती हूं।
जब भी हवाएं अब मुझसे गुजरती हैं,
बेचैन नहीं करती, सुकून मुझे देती हैं।
मुझे बुझ जाने का डर, अब रहा नहीं हैं,
रोशन है जहां यूं भी, मैं न रहूं तो खता नहीं हैं।
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वक्त इस तरह से गुजरता है
जैसे प्यासा पानी को तरसता है
कितने नज़ारे पीछे छूट गए
दिल जिनके लिए अब तरसता है
हर मंजर का मज़ा लो जनाब
आंखों से फिर बस पानी बरसता है-
एक भरोसे से बंध के चल देने वाले हम,,
लोग ज़रा हलके में हमें ले लेते है ! जान लो जाना ,
भरोसा तोड़ने वालों का हम हाल, फिर कभी नहीं लेते हैं ।-