कोई पहनाने को तो कोई उतारने को तैयार बैठा है!कोई छुपाने को तो कोई फ़ैलाने को तैयार बैठा है!मतलब की इस दुनियां मै सब अपने आप को प्रसिद्घ बनाने को तैयार बैठा है! अगर जाती है आज भी कपडे उतरने से इज्जत तो इस कलयुग मै भी अपनी द्रोपती के लिये उसका भाई कृष्ण आज भी कभी ना खत्म होने वाला थान लिये बैठा है!
हर मुमकिन ख्वाहिश मे उनको मांगना खुद की परछाई मे उनको पाना दिन की हर अंगड़ाई में उनका महसूस होना उनके लिये हमारी मोहब्बत ही तो थी, और वो है कि हमें अपने दिल से निकाल बैठे है!
कोई केसे अपने दुखो को जताये, भिगी हो पलके उस पे बारिश हो जाये, जो चले गये हो दूर ओर वापस ना आये, नही है वो खेरियत से ये सुन के खुदा के सामने दुआ मे हाथ खुद बा खुद उठ जाये, है यही चाहत ए मेरे खुदा कर उन पे रहम मेरे गुनाहो कि ना दे उन्हे सज़ा!