किस धुन में चलते रहते हो
मन में क्या बुनते रहते हो ।
शोर है जितना दिल के अंदर
उतना ही क्यों चुप रहते हो।
किसकी खातिर शब्द है खाए
वक्त को क्यों गिनते रहते हो।
जितना जीवन हक़ में अपने
उनको क्यों खंडर करते हो।
सब कुछ होता है क्या हक़ में
फ़िर तो धरती स्वर्ग कहाए ।
जितना गज अपने हिस्से में
उसमें भर भर फ़ूल उगाए ।
किस धुन में चलते रहते हो
मन में क्या बुनते रहते हो ।।
-
तेरे पहलू में आकर खो गए हैं
दुनियाँ से बेख़बर हो गए हैं ।
संभलने का मन नहीं होता है
इतना इश्क़ में बेकरार हो गए हैं ।
सब से बेपरवाह होकर हम तो
बस तेरे होकर ही रह गए हैं ।
लोकलाज की फ़िक्र नहीं सताती
तेरे इश्क़ में इतने डूब गए हैं ।
तेरे आगोश में महफूज होकर
सारी जिदंगी़ के लिए तेरे हो गए हैं।
-
हुस्न के क़सीदे तो गढ़ती रहेंगी ये महफ़िलें ।
झुर्रियाँ भी प्यारी लगने लगें तो मान लेना इश्क़ है ।।-
तेरी चाहत में दीवानी हो गई हूँ मैं ।
ख़ुद से ख़ुद ही बेगानी हो गयी हूँ मैं ।।
खोई रहती हूँ हर पल तेरी यादों में अब मैं ।
होश में नहीं हूँ,रहती हूँ ख़्वाबों में अब मैं ।।
चाँद तारों से करती हूँ तेरी बातें अब मैं ।
दुनियाँ कहती है पागल दीवानी अब मुझे ।।
सारे ज़माने से छुपाकर चाहने लगी हूँ मैं तुझे ।
मगर तेरी चाहत,आँखों से बयाँ करने लगी हूँ मैं।।
-
जख्म जब मेरे सीने के भर जायेगें..
आँसू भी मोती बनकर बिखर जायेगें ।
ये मत पूँछना कि किसने धोखा दिया..
वरना कुछ अपनों के चेहरे भी उतर जायेगें।।-
मेरी अधूरी सी जिंदगी का
पूरा सहारा हो तुम ।
अँधेरी सी रातों में चाँद सा
उजाला हो तुम ।
मेरे आधे अधूरे अल्फाजों का
पूरा सा फसाना हो तुम ।।
-
कुबूल है मुझे , ज़िन्दगी का हर तोहफा
मैंने ख्वाहिशों का नाम , बताना छोड़ दिया।
जो दिल के करीब हैं, वो मेरे अजीज हैं
मैंने गैरों पे हक, जताना छोड़ दिया ।
जो समझ ही नहीं सकते दर्द मेरा
मैंने उन्हें जख्म , दिखाना छोड़ दिया ।
जो गुजरती है दिल पे , हकीकत है मेरी
मैंने दिखावे के लिए मुस्कराना छोड़ दिया।
जो मेरे अपने हैं , वो मिलेगें जरूर मुझे
मैंने बेवजह बंदिशें लगाना छोड़ दिया।
-
रास्ता भटक जाती हूँ
पर मुझे सम्हाल लेना तुम ...।
टूटे काँच की तरह बिखर जाती हूँ
पर मुझे समेट लेना तुम ...।
अक्सर फिसल जाती हूँ मैं
हाथ को थाम लेना तुम...।
छोटी छोटी बातों पर रो देती हूँ
मेरे आँसू पोंछ देना तुम ...।
खुद का बुरा कर लेती हूँ मैं
दूसरों का करने से रोक लेना तुम ...।
मैं तुमसे ही कह रही हूँ कान्हा !
मुझे सम्हाले रहना तुम ....।-
मेरी चाहतों की शाम उस दिन हसीन हो जाए........।
जब मैं तुझे माँगूं और हर तरफ आमीन आमीन हो जाए ..।।
-