मैं अपनी मौहहबत और कैसे बयां करूं,
मैं आज भी उसकी आंखें देख कर
उसकी मंजूरी और मजबूरी बता सकता हूं।-
दिवाली आने वाली आओ ना,
हमारे रिश्ते की रंग रौंगन कराते है,
जो जाले लग गए हैं उन्हें साफ कर, फिर से कुछ सजाते है,
बीच हमारे कुछ नए दीपक जलाते हैं,
आओ ना कुछ रंगोली सी मेहंदी से तुम्हारे हाथ सजाते है,
दिवाली आने वाली है रिश्ते की रंग रौंगन कराते है।-
तुम्हे महिलाओं के आरक्षण से दिक्कत है???
जब किसी सड़क पर, चौराहे पर, मॉल में या हर
सार्वजनिक जगह पर जब कोई महिला गुज़रती है
तब कितने ही दरिद्र निगांहे
उनकी इज़्ज़त उतार चुके होतें है,
उनके कपड़ों से उनके चरित्र पर
अच्छे या बुरे होने का टैग लगा दिया जाता है,
किसी से अगर हंस कर बात कर ले तो आचरण पर
शक किया जाता है,
इतना कुछ सहने के बाद भी वही महिला
काम में बराबर या पुरुषों से ज़्यादा काम करती है तब,
उन्हें आज़ादी से जीने दो!!-
एक आदिशक्ति - नारी
नारी एक समृद्ध शक्ति है,
जिसने बाल्य रूप से ही अपनी ज़िन्दगी
किसी और के प्रति जीने की अटूट प्रतिज्ञा की है,
क्या पूछा किसी माँ ने अपने बेटे से कि आज ख़ाली हाथ क्यों लौटा,
या घर आते ही पूछा हो कुछ खाया या
भूखा ही रह गया,
क्या पूछा किसी बहन ने की कितने चक्कर काटे गली में,
या पूछा की जिस काम से गया था हुआ या नहीं,
क्या बोला कभी पत्नी ने कि आज मन नहीं खाना बनाने का,
या बुखार में भी खाली पेट चौके पे रह गयी,
आदिशक्ति है नारी, जिन्होंने पसीने की तरह
खून बहने पर भी अपने कर्त्तव्य से कदम पीछे नहीं किये,
नमन है नारी शक्ति को
जिनके होने से आज हमारा और तुम्हारा अस्तित्व है।-
ज़िन्दगी में कभी खुद को इतना बेबस महसूस नहीं किया था,
हमेशा जेब में खनकते सिक्के तो रहते थे,
आज उन खनखनाहट को भी सुनने को जी तरस गया है,
कभी घर वालों के प्यार ने और कभी खुद की हिम्मत ने उस जेब को खाली नहीं होने दिया था,
पर आज ज़िम्मेदारियों के बीच जब आ चुका हूँ तब न हाथ फ़ैलाने की हिम्मत होती है और न ही काम करने का मौका दिखाई पड़ता है,
ज़िन्दगी में खुद से इतना पीछे मैं कभी न चला था।-
नाम-ए-हर्फ़ बदल भी गया तो क्या,
इस दिल पर हमेशा तू रहेगा,
लकीरों का क्या है ये वक़्त के साथ,
कभी बदल जाते है, और कुछ मिट जाते है।-
कितनी आसानी से एक बाप अपनी बेटी का हाथ किसी नये इंसान के हाथों में दे देता है,
जिस हाथ को पकड़ कर चलना सिखाया था, जिस हाथ को पकड़ कर पहली दफा चूमा था,
उस हाथ को कितनी आसानी से वो दे देता है,
बेटी के साथ एक बाप अपने सपने, ख्वाहिशें और अपना आधा जीवन विदा करता है,
जिसे उसने उसके पालन में लगाया है।
बहुत खुशनसीब होते है वो जिनकी बेटी होती है।-
कभी हाथ फ़ैलाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी
ख़ुदा के सामने,
जब भी माँ ने कहा सब ठीक हो जायेगा।-
कि कुछ आखरी मैं तुझसे बातें कहूंगा,
कम अलफ़ाज़ में बेहद कहूंगा,
वो जो जागते बितायी है मैंने वो रातें कहूंगा,
वो बातें ज़रूरी न भी हो पर दिल के सारे बात कहूंगा,
तुझे जानने है जो वो हर राज़ कहूंगा,
कुछ भी ना आज मैं झूठ कहूंगा, जो सच है बस वही कहूंगा,
बहुत सहेज कर रखा था रिश्ते को पर अब इसे इतिहास कहूंगा,
बहुत से सवाल है दिल में, पर उन्हें दफना कर मैं आगे बढूंगा,
न कोई शिकायत न ही मैं कोई मश्वरा करूँगा,
अब फैसले के साथ ही मैं ये इश्क़ अमर करूँगा,
उस आखरी मुलाकात पर मैं, हमारे वो तीन साल लिखूंगा।
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