शराब का बहुत शौक था हमे
उसके इश्क ने पीने का शौक छुड़वा दिया
उसकी अदाओं का जलवा तो देखिए जनाब
बेवफ़ाई ने उसकी जीने का शौक छुड़वा दिया-
Hate me is to love yourself
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
जीत नहीं हार हूं
दुनिया पे भार हूं
अंदर से हूं खोखला
पर बाहर से पहाड़ हूं
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
पापों से हूं भरा
अंगारों पर हूं खड़ा
ज़िन्दा होकर भी मरा
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
चेहरे पे होंठों की दिशा ऊपरी है
मगर दिल हैं आंसुओं से भरी
ज़िन्दगी तो जैसे दुःख के नाले में पड़ी
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
शायद खुद को नहीं जानता हूं
मगर हैवान ज़रूर मानता हूं
अपनी मुसीबतों से भागता हूं
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है
मौत से बस सच्चा प्यार है मुझे
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मैं यहां तेरे मौत के जनाजे को उठाने नहीं आया हूं
मैं यहां तेरी बेरुखी देखने आया हूं
तु जो मुझे यों छोड़ के चली गई मां
मैं यहां तेरी ममता का असल रूप देखने आया हूं
मैं यहां तेरी बेवफ़ाई झूठी दिल्लगी झूठा प्यार देखने आया हूं
मैं यहां तेरे मौत के जनाजे को उठाने नहीं आया हूं
तेरी बेरुखी देखने आया हूं मां
तेरी बेरुखी देखने आया हूं मां
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मेरी मुहब्बत कि ये है कहानी
मांग भरूंगा मौत की
और महबूब है ये ज़िन्दगानी-
सोचता हूं कुछ लिखूं
लेकिन उनके बारे में क्या लिखूं
जिन्होंने लिखना सिखाया
सोचता हूं कुछ सुनाऊं
लेकिन उनके बारे में क्या सुनाऊं
जिन्होंने बोलना सिखाया
सोचता हूं खड़ा हो जाऊं उनके सम्मान में
लेकिन उनके सामने कैसे खड़ा हो जाऊं
जिन्होंने अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया
मैं तो बस नमन कर सकता हूं उस भगवान से
उपर प्रजाति को
जिन्होंने मुझे ज़िन्दगी और ज्ञान का मतलब सिखाया
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जब मिले थे तो सिर्फ दिल थे
जब मिले थे तो सिर्फ दिल थे
पर न जाने क्या हुआ
तुम्हारा दिल हवा कि तरह चलता रहा
मेरा दिल दिये कि तरह जलता रहा-
ये जो गांवों की लाशों पर शहर खड़े कर रहे हो
इसी लिए
पानी और हवा के लिए तड़प रहे हो-
तारे भी नाराज़ होंगे मुझसे
उन्हीं कि चादर में लिपटे
चांद से इश्क फरमा रहा हूं मैं-
बातें कम हो गई है
मगर जज़्बात कम नहीं हुए
मिलना कम हो गया
लेकिन आंखों ने तुम्हें निहारना कम नहीं किया
पेट ने दूरियां ज़रूर बढ़ा दी
मगर दिल ने मुहब्बत कम न होने दी-
माघ की पूनम रात थी
होलिका अग्नि में प्रहलाद के साथ थी
था उसे वरदान
अग्नि में न जलने का
उसे क्या पता था
घमंड की अग्नि बनेगी कारण उसकी मौत का
अग्नि में बैठी वो
लेकर उस मासूम को गोद में
ले आई वो भगवान को क्रोध में
छीन लिया उस क्रूर का वरदान
दहन हो गई होलिका
और बच गए बालक के प्राण
आओ हम भी अपने घमंड को जलाएं
कभी अपनी सद्भावना न खोएं
आओ खुशियों के रंग से होली मनाएं-