Divyanshu   (दिव्यांशु)
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Love me is to hate yourself
Hate me is to love yourself
Joined 23 August 2019


Love me is to hate yourself
Hate me is to love yourself
Joined 23 August 2019
23 JAN 2022 AT 23:39

शराब का बहुत शौक था हमे
उसके इश्क ने पीने का शौक छुड़वा दिया
उसकी अदाओं का जलवा तो देखिए जनाब
बेवफ़ाई ने उसकी जीने का शौक छुड़वा दिया

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1 NOV 2021 AT 1:25

जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
जीत नहीं हार हूं
दुनिया पे भार हूं
अंदर से हूं खोखला
पर बाहर से पहाड़ हूं
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
पापों से हूं भरा
अंगारों पर हूं खड़ा
ज़िन्दा होकर भी मरा
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
चेहरे पे होंठों की दिशा ऊपरी है
मगर दिल हैं आंसुओं से भरी
ज़िन्दगी तो जैसे दुःख के नाले में पड़ी
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
शायद खुद को नहीं जानता हूं
मगर हैवान ज़रूर मानता हूं
अपनी मुसीबतों से भागता हूं
जानना चाहते हो तो सुनो मुझे
जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है
मौत से बस सच्चा प्यार है मुझे



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10 OCT 2021 AT 8:26

मैं यहां तेरे मौत के जनाजे को उठाने नहीं आया हूं
मैं यहां तेरी बेरुखी देखने आया हूं
तु जो मुझे यों छोड़ के चली गई मां
मैं यहां तेरी ममता का असल रूप देखने आया हूं
मैं यहां तेरी बेवफ़ाई झूठी दिल्लगी झूठा प्यार देखने आया हूं
मैं यहां तेरे मौत के जनाजे को उठाने नहीं आया हूं
तेरी बेरुखी देखने आया हूं मां
तेरी बेरुखी देखने आया हूं मां

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29 SEP 2021 AT 16:35

मेरी मुहब्बत कि ये है कहानी
मांग भरूंगा मौत की
और महबूब है ये ज़िन्दगानी

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5 SEP 2021 AT 6:43

सोचता हूं कुछ लिखूं
लेकिन उनके बारे में क्या लिखूं
जिन्होंने लिखना सिखाया
सोचता हूं कुछ सुनाऊं
लेकिन उनके बारे में क्या सुनाऊं
जिन्होंने बोलना सिखाया
सोचता हूं खड़ा हो जाऊं उनके सम्मान में
लेकिन उनके सामने कैसे खड़ा हो जाऊं
जिन्होंने अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया
मैं तो बस नमन कर सकता हूं उस भगवान से
उपर प्रजाति को
जिन्होंने मुझे ज़िन्दगी और ज्ञान का मतलब सिखाया

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31 AUG 2021 AT 20:16

जब मिले थे तो सिर्फ दिल थे
जब मिले थे तो सिर्फ दिल थे
पर न जाने क्या हुआ
तुम्हारा दिल हवा कि तरह चलता रहा
मेरा दिल दिये कि तरह जलता रहा

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23 APR 2021 AT 21:14

ये जो गांवों की लाशों पर शहर खड़े कर रहे हो
इसी लिए
पानी और हवा के लिए तड़प रहे हो

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18 APR 2021 AT 0:03

तारे भी नाराज़ होंगे मुझसे
उन्हीं कि चादर में लिपटे
चांद से इश्क फरमा रहा हूं मैं

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15 APR 2021 AT 21:19

बातें कम हो गई है
मगर जज़्बात कम नहीं हुए
मिलना कम हो गया
लेकिन आंखों ने तुम्हें निहारना कम नहीं किया
पेट ने दूरियां ज़रूर बढ़ा दी
मगर दिल ने मुहब्बत कम न होने दी

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29 MAR 2021 AT 0:15

माघ की पूनम रात थी
होलिका अग्नि में प्रहलाद के साथ थी
था उसे वरदान
अग्नि में न जलने का
उसे क्या पता था
घमंड की अग्नि बनेगी कारण उसकी मौत का
अग्नि में बैठी वो
लेकर उस मासूम को गोद में
ले आई वो भगवान को क्रोध में
छीन लिया उस क्रूर का वरदान
दहन हो गई होलिका
और बच गए बालक के प्राण
आओ हम भी अपने घमंड को जलाएं
कभी अपनी सद्भावना न खोएं
आओ खुशियों के रंग से होली मनाएं

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