@divyanshi
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प्रेम सीखना है तो
जाना उस प्रेमी के पास
जिसे मालूम हो कि
सर्द रातों में
दोनों हाथ जोड़कर
भी किया जा सकता है
एक प्रेम,
जिसे चाहिए नहीं स्वीकृति कोई।
जिसे मालूम हो कि
सर्द रातों में
भी रची जा सकती हैं
अमर प्रेम कथाएँ
केवल एक किरदार संग।-
It started with 'lips', it ended up with 'eyes'
Two of the major senses got into a fight just to lose.-
पहाड़ों को पिघलाने की औक़ात थी हमारी,
वो बस एक पत्थर हमसे गिला कर बैठा।-
मेरा घर पहले एक मंज़िला था
अब दो मंज़िला हो गया है
औऱ मुझे बस एक बात का गम की
मैं वहाँ कभी रह नहीं पाऊंगी!
मुझे ग्राउंड-फ्लोर पे रहना कभी पसंद नहीं था
अब सीढ़ियां चढ़ना पसंद नहीं है !
Elevators हैं, सुकून हैं
वरना सातवीं मंज़िल पे चढ़ना कौनसा आसान है !
मेरे लिए तो बिल्कुल भी नही!
( पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें)
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मैं उस तबक़े से आती हूँ,
जिन्हें कुरेदा जाता है नाखूनों से,
और काटा जाता है दाँतो से!
इसलिए नहीं हूँ मैं वाकिफ़,
छुअन के किसी भी खूबसूरत एहसास से!
मेरे ज़ेहन में रेंगती हैं बस कुछ तारीखें,
जिनमें सँभाले रखती हूँ
मैं अपनी हर चीख को,
ताकि हर रात सोने से पहले
जब नींद मुझे मरने से ज़्यादा
ज़िन्दा होने का एहसास कराए
तो छोड़ दूँ उन नंगी चीखों को खुला
और भगा दूँ नींद को कोसों दूर ख़ुद से!
मर जाने की तमाम कोशिशों में,
फिलहाल यही कारगार है!-
मेरी कुल्फतों का इलाज वहाँ कहाँ ढूंढते हो,
मैं यहाँ हूँ, मुझे कहाँ कहाँ ढूँढते हो?
(कुल्फत - sorrow)-
मैं किस कचहरी में हाज़िरी लगाऊँ,
मेरे आँसुओ की सुनवाई कौन करे?-