@divyanshi
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प्रेम सीखना है तो
जाना उस प्रेमी के पास
जिसे मालूम हो कि
सर्द रातों में
दोनों हाथ जोड़कर
भी किया जा सकता है
एक प्रेम,
जिसे चाहिए नहीं स्वीकृति कोई।
जिसे मालूम हो कि
सर्द रातों में
भी रची जा सकती हैं
अमर प्रेम कथाएँ
केवल एक किरदार संग।-
ए ख़ुदा,मुझे शहर-बदर कर दे
यहाँ लोग झगड़ते बहुत हैं।
शहर-बदर - exile, banishment-
It started with 'lips', it ended up with 'eyes'
Two of the major senses got into a fight just to lose.-
चुपके से समेट लेती हूँ अब आँसू सारे,
इतना टूट कर दिल आवाज़ें नहीं करता।
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पहाड़ों को पिघलाने की औक़ात थी हमारी,
वो बस एक पत्थर हमसे गिला कर बैठा।-
मेरा घर पहले एक मंज़िला था
अब दो मंज़िला हो गया है
औऱ मुझे बस एक बात का गम की
मैं वहाँ कभी रह नहीं पाऊंगी!
मुझे ग्राउंड-फ्लोर पे रहना कभी पसंद नहीं था
अब सीढ़ियां चढ़ना पसंद नहीं है !
Elevators हैं, सुकून हैं
वरना सातवीं मंज़िल पे चढ़ना कौनसा आसान है !
मेरे लिए तो बिल्कुल भी नही!
( पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें)
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