मै प्रायः विचार करती हूं
की ये मांग करते हुए
की शिव सा पति मिले
चलो मिल भी जाएं
क्या मैं पार्वती के समकक्ष हो सकती हूं
मैने उत्तर पाया शायद नहीं
न मैं होना चाहती हूं।
बस उनका आशीर्वाद जरूर चाहती हूं।-
Divyanshi shukla✍
शौक से लिखते हैं
शौक से पढ़ते हैं।
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एक बार मां से बात चल रही थी प्रेम को लेकर
की आज का मनुष्य कितना दोगलापन करता है
मांग करता है शिव सा स्नेहिल पति ,पार्वती सी अडिग
अर्धांगिनी
परन्तु नहीं स्वीकार है उनका अटूट प्रेम
जो उनकी महानता को जानने से पूर्व सती ने प्रेम अथाह प्रेम किया
और दोनों ने सही ढंग से एक दूजे को अंगीकृत किया
अनंतकाल तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की।
परन्तु यदि आज प्रेम की परिभाषा ही अलग है
प्रेम को सफल बनाने में प्रेमी और प्रेमिका दोनों का बराबर भागीदार होना जरूरी होता है
ये नहीं कि कभी प्रेमी पीछे हट गया कभी प्रेमिका।
तो जो प्रेम विवाह या प्रेम करेगा ये उसकी जिम्मेदारी है
की लड़का परिवार सब सम्पन्न हो हर प्रकार से
कोई कसर न हो और यदि भविष्य में ऊंच नीच हो गई तो
सुनने के लिए तैयार रहो कि चुनाव तुम्हारा था हमारा नहीं।
और यदि माता पिता द्वारा किए गए संबंध में कुछ भी गड़बड़ हुई
तो किस्मत का दोष बस
यदि बच्चों ने प्रेम किया है
तो मिलो देखो आज के जमाने में इंसान अच्छा मिल जाए इससे सुंदर क्या
कमाई का क्या मिल कर कमा लो सहयोग से।
बड़ों का शामिल होना अनिवार्य है निःसंदेह
अन्यथा प्रेम सत्य प्रेम के नाम पर
सिर्फ मौत मिलती देखी जा रही
कही प्रेमिका ने हत्या कर दी कही प्रेमी ने
धोखाधड़ी कही भी हो सकती।
Just a thought.
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Astrotalk vale sirf breakup aur patchup hi guess kar pate hai usse aage nhi
😆😃
ज्योतिष शास्त्र जैसे गंभीर विषय को धंधा बना रखा।
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Love is beautiful until you confess
Love is beautiful when you love without bothering someone
Love is beautiful just feel it.
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तुम्हें लिखने की तमन्ना है
मगर एक बार मिलने के बाद
तुम्हें चाहने की चाह है मुझमें
मगर एक बार चाहने के बाद
तुम्हें श्रृंगार सा पहन कर ओढ़ लूं मैं
एक बार तेरे हाथों से सजने के बाद
तुम्हें मधुर स्मृति में संजो रखने का मन है
मगर एक बार याद कर,फिर भूलने के बाद।-