DIVYANSH SHRIVASTAVA   (DIVYANSH BABU)
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Joined 31 October 2019


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3 JUL 2023 AT 20:14

बस कविताएं लिख जाते हैं
पन्ने दर पन्ने हम
कलम रगड़ते चले जाते हैं
दिल और दिमाग की तरंगों को
कागज पर उकेरते चले जाते हैं
कभी आशिकी कभी गरीबी
कभी दोस्ती तो कभी प्रेरणादायी
जिंदगी के हर फलसफे को
छूते चले जाते हैं
क्योंकि

हम इतना नहीं सोचते हैं !!

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3 JUL 2023 AT 20:07

वक्त बेवक्त तुम्हारा आना
कभी मुझसे खेलना
कभी मेरी सहेली से
ये इख्लास की निशानी तो नहीं

इख्लास - ईमानदारी, निष्ठा

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3 JUL 2023 AT 19:57

जब वो बोलती थी
शक्कर घोलती थी मानो !

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3 JUL 2023 AT 19:54

जब भी इश्क किया
एक तरफा ही किया
दूसरी तरफ क्या है
कभी मालूम ही नहीं किया !

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10 AUG 2022 AT 11:45

सुबह की किरण लिए रवि निकला हैं
हाथ में किताबें लिए
गली से कवि निकला हैं
दोनो में समानता सी बहुत नजर आती हैं
एक धरा को धूप से सींचता हैं
और एक कलम की स्याही से ।।

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8 AUG 2022 AT 22:56

ठोकर खाकर गिरता पड़ता वो मंजिल पर जा पहुंचा
हम अभी भी रास्ते के कांटों को हटा रहे हैं //

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8 AUG 2022 AT 22:50

खुशबू महक उठी थी उस रोज
जब उन्हें गुलाब और पंखुड़ियों से तौला गया था
और अब तनिक सी सादगी भी न रहीं उनमें
जब उन्हें रुपयों से मोला गया था ।।

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8 AUG 2022 AT 22:46

एक रात सी जो ढल चुकी हैं
कविता की बात भी छिड़ चुकी हैं
ढूंढो कहां बैठे हैं वो कलम के दीवाने
जाके कहो
आज किताब भी सूनी पड़ी हैं ।।

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8 AUG 2022 AT 22:42

मुझे मना भी लेना सनम
तेरे सिवा मेरा अच्छा चाहने वाला
शायद कोई दूजा न दुनिया में हैं सनम ।।

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8 AUG 2022 AT 20:17

हम एक ऑफिस वर्कर बन जाएं
तुम एक परफेक्ट हाउसवाइफ बन जाओ
चलो थोड़ा फिल्मी नाटक भी कर लेते हैं
इस वास्तविक सच्चाई से निकलकर

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