Divyansh Rajput   (भानु)
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Financial Consultant
Joined 20 July 2018


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Joined 20 July 2018
25 MAR AT 0:41

आग को हवा दूं,
भड़का दूं या बड़ा दूं,
सीने में मैं छुपा कर
खुद को ही फिर जला दूं ,
ज़माने में लगा दूं,
कि अश्कों में बहा दूं,
या फिर कर दूं मैं बयां
बढ़ने से पहले ही बुझा दूं..

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25 MAR AT 0:26

जब मेरे हिस्से की आंच थी
तब मैं खुद में आफताब था

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2 MAR AT 12:41

सफर

राहें कहां जाएं
कोई भी जाने है नहीं
फिर भी चलते जाएं
पलके मीचे हम सभी

रास्ता ये टेढ़ा हो
गुमसुम सवेरा हो
घना अंधेरा
या रूठा बसेरा हो

सफर क्यों रुकता नहीं
सफर क्यों रुकता नहीं

पूछें ये हवाएं
मंज़िल मिलेगी क्या कभी
हम मुसाफ़िर मुस्कुराएं
आखिर में होगा सब सही

रास्ता ये टेढ़ा हो
गुमसुम सवेरा हो
घना अंधेरा
या रूठा बसेरा हो

सफर क्यों रुकता नहीं
सफर क्यों रुकता नहीं
सफर क्यों रुकता नहीं..

-


24 FEB AT 18:37

ना मज़ार का
ना चौकी का
ना तिलक का
ना चोटी का
ना हूं पगड़ी का
ना टोपी का
ज्ञान मार्ग का राही मैं
जैसे कुत्ता धोबी का...

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6 FEB AT 15:06

किरदार तो बचा
पर शक्सियत सो गई
चेहरे पर नूर तो आया
पर मासूमियत खो गई..

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5 FEB AT 0:06

chorus

एक बार जो देख लो
मुड़ के तुम ज़रा...
मिल जाऊं फिर तुम्हें
हूं पीछे मैं खड़ा ×2

Verse 1

शुरु से शुरू होगी कहानी वही
गलतियां होंगी पर होगा गलत कुछ नहीं
ना नाराज़गी ना फिज़ूल शिकायतें होंगी
लम्हें वो हमारे और कुछ बातें होंगी

Humming...

Verse 2

समझ जाऊंगा सारे वो इशारे तेरे
सितारों को रख दूंगा मैं सिरहाने तेरे,
सिर आंखों पर होंगी अब की नादानियां तेरी
लगा कर गले घूमूंगा मैं खामियां तेरी

Humming...


Bridge

फिर भी मुनासिब लगे जो तुम को
करना तुम वही,
गुज़र जाए चाहे ज़माना
मैं खड़ा हूं यहीं

Chorus again

×..._...×...._....×

-


17 JAN AT 22:14

आरती..

मूर्ती में प्रभु को ढूंढना है,
या चुप रह कर आंखें मूंदना है
मदद की गुहार लगानी है,
या अपनी आपबीती सुनानी है
जो हो जाएं दर्शन तो नज़रें मिलाना हैं,
या फिर इबादत में सर झुकाना है
मन से ईश्वर को पास बुलाना है,
या मुझे सिर्फ आरती गाना है

करना क्या है
मैं समझ ना पाया
आरती पूरी हुई
मैं प्रसाद घर ले आया..

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6 SEP 2023 AT 11:46

तुम उसे मिलना
जिसे कुछ ना मिला
उसका होना
जिसका कोई ना हुआ,
पर आसरा ना बनना !

तुम एक डगर बन जाना
जिस पर वो चल सके,
फिर एक नगर बन जाना
जिस में वो बस सके,
एक सफर बन जाना
जिसे तय वो कर सके..

ना साथी बनना; ना हमसफ़र
ना रहनुमा, ना रहगुज़र..

अंत में गुज़र जाना
ऐसे जैसे कभी गुज़रे ही ना हो,
क्योंकि फिर...

... फिर तुम्हें उन से मिलना है
जिन्हें कुछ ना मिला
उन का होना है
जिन का कोई ना हुआ

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17 AUG 2023 AT 14:49

भानु जैसा चमकना सभी को
पर भानु जैसा जलेगा कौन

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6 AUG 2023 AT 22:32

ना मिलेगा वो शर्त से
ना आएगा समझ फर्क से,
किसी को मिलेगा प्रेम से
तो कोई पाएगा तर्क से..

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