चांदी का भवन तुम्हरा
सोने की मूरत हो तुम
भस्मो का वस्त तुम्हरा
महाकाल हो तुम
नन्दी है सवार तुम्हरा
भोले नाथ हो तुम
नीला अम्बर जग सारा
शिव नीलकंठ हो तुम-
कानपुर की गलियो में भटकता मुसाफिर हूँ
इश्क़ के नाम पर मजहबी वाला काफीर हूँ
चांदी का भवन तुम्हरा
सोने की मूरत हो तुम
भस्मो का वस्त तुम्हरा
महाकाल हो तुम
नन्दी है सवार तुम्हरा
भोले नाथ हो तुम
नीला अम्बर जग सारा
शिव नीलकंठ हो तुम-
कानपुर की गलियो में भटकता मुसाफिर हूँ मैं
तेरे इश्क़ के नाम पर मजहब से काफीर हूँ मैं-
Zindagi Ko Kuchh Behatar Dena Chahta Hoon..
Main Phir Ek Daffa Ishq Karna Chahta Hoon..-
मैं मेरी यादों में अकेला हूं
और तुम मुझसे खुश रहने की बात काते हो
बड़े बदनसीब हैं हम यार
और तुम मुझे अपना समझते हो-
गम तब करता..
गर तेरे जाने पर गम ना करता
तू बता तेरे जाने पर..
तेरा हाथ ना पकड़ता तो क्या करता-
किस्सा खत्म हुआ मोहब्बत का
पहले तुम्हें मेरा नहीं होना था
अब मुझे किसी का भी नहीं होना-
ऐ खुदा तूने बेवफाई भी खुशनसीबी वाली दी
रोते-रोते मुझे हंसने की वजहा दी-