अस्तित्व
हा है एक अस्तित्व मेरा भी इंसा हूं मै!!
तुम्हारे कहने से हस्ती मिटा तो नहीं दूंगा!!
आया हूं तो कोई मकसद होगा मेरा!!
कह देने से तुम्हारे रास्ते मोड़ तो नहीं दूंगा!!
कायदे सलीखे आखिर मूझपे लागू क्यों होते!!
जंग जीतनी है ज़िन्दगी से खुद को हारने नहीं दूंगा!!
मै आज भी हर घड़ी सच्चाई के साथ खड़ा हूं!!
उठा के ही चला हूं हमेशा सर गिरने नहीं दूंगा!!
असूल के नोक पर कसम खाई है इक मैने!!
उम्मीद के "लौ" को दिल की कभी बुझने नहीं दूंगा!!
सता में होने के लिए एक अवस्था मजबूत ज़रूरी!!
गुलाम बनाऊंगा परिस्थतियों को इसलिए टूटने नहीं दूंगा!!
ये जो कहते है सब मिटा दूंगा तुम्हारे अस्तित्व को!!
उजाड़ दूंगा इनका बसेरा खुद को लूटने नहीं दूंगा!!
मै ,राज हूं वो राज जो समेटे रहता है कई राज दबे!!
इस हमराही का मंजिल से साथ छूटने नहीं दूंगा!!
@दिव्यांक राज
-