Dïव्यांशी   (Dïव्यांशी)
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Joined 10 February 2019


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Joined 10 February 2019
19 NOV 2021 AT 0:07

अनकहे अल्फ़ाज़ों का साज़ है।

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28 JUL 2021 AT 8:21

रिहा कर दो मुझे, नींदों से अपनी....
कब तक यूं कैद,इन निगाहों में रखोगे ।।

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27 JUN 2021 AT 11:51

कर दे वो खुदा जो उसे मेरा,
ताउम्र उस खुदा की..कर्ज़दार हो जाऊँ।।

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25 JUN 2021 AT 0:42

बारिश की हर बूँद का..मुझे यूं छू जाना,
बिल्कुल तुम्हारे अहसास जैसा है।।

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25 JUN 2021 AT 0:16

यू़ं अचानक.. इस बरसात का आ जाना,
बिल्कुल तुम्हारी याद जैसा है।।

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22 JUN 2021 AT 23:21

बेवजह से लगने लगे हैं..अब ये आइने मुझे,
निगाहों ने तेरी...जब से मुझे संवारना शुरू किया है ।।

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10 JUN 2021 AT 16:17


तुम आना किसी रोज़,पल कुछ साथ बिताने..
नाम तुम्हारा लेकर,वक़्त से मोहलते मांग ली हैं मैंने।।

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1 JUN 2021 AT 22:37

हर किसी से हो ज़िक्र तुम्हारा..ये ज़रूरी तो नहीं,
मैं बातें तुम्हारी...
खुद से और खुदा से कर लिया करती हूं ।।

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22 MAY 2021 AT 16:26

कुछ यूं कर ले,
आँसू संग कुछ खुशियां समेट ले..
रातों के ख्वाब,सवेरे का वो नीला आसमान बुन ले..
सफ़र से उसके,कोई हसीं मन्ज़िल चुन ले..
हर एक लम्हे से उसके, चल यारी कर ले..
एक मुलाकात ज़िन्दगी से,
कुछ यूं कर ले ।।

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29 APR 2021 AT 15:55

ये काजल...इन आँखों में जो सजा रखा है,
तेरे नूर का उसे पेहरेदार बना रखा है ।।

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