ऐसे कुछ सवाल थे तुम से..
जब भी मुलाकात हुई हमारी, मेरे जानें के बाद मुझे मिस किया है क्या?
क्या कभी तुम्हारा मन किया है मेरी बिखरी हुई जुल्फों को संवारने का?
मेरा हाथ पकड़ने का, अपनी बाहों में लेने का कभी दिल किया है ?
क्या कभी मेरे छोटे मोटे चुटकुले सुनने का,
उन पर हंसने का दिल किया है ?
मेरी इतनी सारी बातों को सुनने का कभी मन किया है ?
क्या कभी मेरे साथ एक दिन के लिए कहीं दूर जानें का मन किया है?
क्या कभी कोई गीत सुनते हुए मेरी याद आई है?
क्या कभी ऐसा हुआ है किसी चीज़ को देख कर मेरा ख्याल आया हो?
सर्दियों के मौसम में कभी मुझे अपना कम्बल बनाने का मन किया है?
क्या तुम्हे मेरी खुशबू याद है?
बोलो ना कभी ऐसा feel किया है?
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◾◾Let's know something about me◾◾
◾Wish me on 9 July �... read more
कुछ सवाल थे मेरे क्या पूछ सकती हूं?
जब भी मुलाकात हुई हमारी,
मेरे जानें के बाद मुझे मिस किया है क्या?
मेरी इतनी सारी बातों को सुनने का कभी मन किया है क्या?
क्या कभी तुम्हारा मन किया है
मेरी बिखरी हुई जुल्फों को संवारने का?
मेरा हाथ पकड़ने का, अपनी बाहों में लेने का
कभी दिल किया है ?
क्या कभी मेरे छोटे मोटे चुटकुले सुनने का,
उन पर हंसने का दिल किया है ?
क्या कभी मेरे साथ एक दिन के लिए
कहीं दूर जानें का मन किया है?
क्या कभी कोई गीत सुनते हुए मेरी याद आई है?
क्या कभी ऐसा हुआ है,
किसी चीज़ को देख कर मेरा ख्याल आया हो?
क्या कभी ऐसा हुआ है?-
जब भी तुम अकेले पढ़ो, और मेरी ज़रूरत पड़े,
जब भी मुझे याद करो, तुम आवाज देना।
मैं हूं, यहीं हूं तुम्हारे पास।
तुम ख़ामोश ही रहना कुछ न कहना।
मै पढूंगी तुम्हे तुम्हारी आंखों से, हर बात कहना।
जब होठों पर मौन हो, और मुस्कान गुमसुम हो जाए।
जब दिल में हल्का दर्द हो, और कंधे झुक जाए।
जब लगे तुम अकेले हो, और कुछ समझ ना आए।
जब तुम्हे तुम्हारे सवालों के जवाब मिल न पाए।
तो मेरे दोस्त बस यकीन रखना खुद पर।
हो सके तो मुझ पर।
मैं कोशिश तो कर सकती हूं तेरे लिए।
तुझे तेरे रास्ते तक पहुंचाने के लिए।
माना तेरे लिए चांद तारे तोड़ कर नही ला सकते।
लेकिन चांद तारो के उजालों की,
ज़रा सी रौशनी तो ला ही सकते हैं।
अपनी बचपन वाली बेफिक्री
फिर से वापिस ला पाऊं
ऐसी शैतानियां करेंगे।
तेरे साथ बैठ कर फिर से नई यादें बनाया करेगे।
माना अभी जिन्दगी कुछ बेहतर तो नहीं है अपनी,
लेकिन साथ मिल कर सब ठीक किया करेंगे।
जब तुम अकेले पढ़ो और कुछ समझ ना आए।
तो सोचना मैं हूं तुम्हारे पास तुम्हारे साथ।-
जब भी तुम अकेले पढ़ो, और मेरी ज़रूरत पड़े
जब भी मुझे याद करो तुम आवाज देना।
मैं हूं यहीं हूं तुम्हारे पास।
तुम ख़ामोश ही रहना कुछ न कहना।
मै पढूंगी तुम्हे तुम्हारी आंखों से, हर बात कहना।
जब होठों पर मौन हो और मुस्कान गुमसुम हो जाए।
जब दिल में हल्का दर्द हो और कंधे झुक जाए।
जब लगे तुम अकेले हो और कुछ समझ ना आए।
जब तुम्हे तुम्हारे सवालों के जवाब मिल न पाए।
तो मेरे दोस्त बस यकीन रखना खुद पर।
हो सके तो मुझ पर।
मैं कोशिश तो कर सकती हूं तेरे लिए।
तुझे तेरे रास्ते तक पहुंचाने के लिए।
माना तेरे लिए चांद तारे तोड़ कर नही ला सकते।
लेकिन चांद तारो के उजालों की
ज़रा सी रौशनी तो ला ही सकते हैं।
अपनी बचपन वाली बेफिक्री फिर से वापिस ला पाऊं
ऐसी शैतानियां करेंगे।
तेरे साथ बैठ कर फिर से नई यादें बनाया करेगे।
माना अभी जिन्दगी कुछ बेहतर तो नहीं है अपनी
लेकिन साथ मिल कर सब ठीक किया करेंगे।
जब तुम अकेले पढ़ो और कुछ समझ ना आए।
तो सोचना मैं हूं तुम्हारे पास तुम्हारे साथ।-
One day I will tell you everything.
I will tell you all the stories of my heart.
Will you tell me when I feel sad and about what?
When does one feel more sad? Could have discovered me a little more.
When I jump with joy.
Sometimes I break down crying.
When does the smile fade? And when are emotions clearly visible?
When do tears not come? And when does it rain?
When do I get impatient? And when I ignore it.
When do I dance without any worries? And when do I go crazy?
Thought I would tell you one day. yes..i think so
If you could solve this puzzle?
Had you immersed yourself a little more in me,
you would have been able to enhance my feelings a little more.
If you could look at the mirror of my heart a little closer.
I have preserved the fragrance of all the feelings,
I wish you could also feel that fragrance.
- Divya Mahajan-
अच्छाई की चादर ओढ़ कुछ फरेबी मकसद पूरा करते हैं।
मनसूबे न पूछ। जिसमे उनका फ़ायदा है वो ही कृत्य करते हैं।
सच्चाई न सामने आए। तो फिर नया झूठ खड़ा करते हैं।
उस झूठ को भी बड़ी शिद्दत से सच की तरह बयां करते हैं।
प्यार का शहद लगा कर बातों का रुख मोड़ देते हैं।
कदम फूंक कर चालाकी से दूसरो का दिल जीतते हैं
कोई इन से कुछ मांग न लें इसका पूरा ध्यान रखते हैं।
ये वही लोग है जो अपने दिल के रास्ते बंद रखते हैं।-
एक दिन सारी बातें तूझे बताएंगे।
दिल की सारी दस्तान तूझे सुनाएंगे।
तूझे बताएंगे कब उदासी होती हैं किस बात की?
कब गम होता है ज्यादा।
कब खुश हो कर उछल जाती हुं।
कब रो कर बिखर जाती हूं।
मुस्कान कब फीकी होती है। और जज़्बात कब साफ दिखते हैं।
आंसू कब नही आते। और बारिश कब होती है।
कब बेसब्र हो जाती हुं। और कब नज़र अंदाज कर देती हूं।
कब बेफिक्र हो कर झूमती हूं। और कब पागल करती हूं ।
सोचा बताएंगे तुझे एक दिन।
हां.. सोचती हूं
ये पहेली अगर तुम बुझ पाते?
मुझे थोड़ा और खोज पाते।
मुझ में थोड़ा सा और डूब जाते
मेरे एहसासों को थोड़ा और निखार पाते।
मेरे हृदय रूपी दर्पण को ज़रा करीब से निहार पाते।
मैने खुशबू संजो रखी है सारे एहसासों की
काश वो खुशबू तुम भी महसूस कर पाते।-
मुझसे मिलने बड़ी दूर से आता है
मुझे देखता है हाथ थमता है और चला जाता है।
बहुत मासूम है मेरा प्रेमी
मुझे चाहता है बहुत लेकिन मुझ से कुछ नहीं चाहता है।
बताता है अपनी मुश्किल कभी कभी
वरना अपना हर दर्द छुपाता है।
दूर हो कर जो लड़ लेता है मुझ से
मुझे देख कर बच्चो की तरह मुस्कुराता है।
मुझे साथ ले कर जाना चाहता है
हर बार मेरे साथ तसवीर ले कर लौट जाता है।
है बेपनाह उसे मोहब्बत मुझ से।
हां कहता नहीं है लेकिन
ये राज़ उसकी आंखो में साफ नज़र आता है।-
आज मैंने तुझे अपना प्यार नही लिखा।
और न लिखें कोई चाहत के किस्से।
आज कुछ सोच कर वो अनुभव कर रहा मेरा मन।
जो मेरे सोच के परे है।
एक आत्मबोध हुआ जान कर
यहां प्रेम उनके लिए प्रेम होता है
जो प्रेम को समझ सकते हैं।
किंतु प्रेम का आभास उन्हे नहीं होता
जो इसे केवल एक जरिया समझते हैं
किसी के दिल में प्रवेश करने का।
उन्हे पाने का और खुशी हासिल करने का।
आज मैं खुश नही उदास नही केवल स्तब्ध हूं।
स्तब्ध हूं रिश्तों के रूखेपन से।
क्या रिश्ते ऐसे भी हो सकते हैं?
जिसमे रिश्ता हो लेकिन भावनाएं नही।
क्या इंसान इतना अकेला है
जो इसे किराए के रिश्ते चाहिए।
पल भर की ख़ुशी के लिए।
पल भर की ख़ुशी जो इसे दुनियां के भार से मुक्त करती है।-
आज मैंने तुझे अपना प्यार नही लिखा।
और न लिखें कोई चाहत के किस्से।
आज तुझे सोच कर वो अनुभव कर रहा मेरा मन।
जो मेरे सोच के परे है।
एक आत्मबोध हुआ जान कर
यहां प्रेम उनके लिए प्रेम होता है
जो प्रेम को समझ सकते हैं।
लेकिन कुछ लोगो के लिए प्यार तो केवल एक जरिया है
किसी के मन को जानने का उन्हें पाने का
और खुशी हासिल करने का।
आज मैं खुश नही उदास नही केवल स्तब्ध हूं।
स्तब्ध हूं रिश्तों के रूखेपन से।
क्या रिश्ते ऐसे भी हो सकते हैं?
जिसमे रिश्ता हो लेकिन भावनाएं नही।
क्या इंसान इतना अकेला है?
जो इसे किराए के रिश्ते चाहिए।
पल भर की ख़ुशी के लिए।
पल भर की ख़ुशी जो उन्हे दुनियां से मुक्त करती है।-