हर एक कोशिश कर रही,
खुद को संभालने की,
खुद को सवारने की,
लेकिन कुछ भी नहीं कर पा रही सही॥
किसी ने सच कहा है,
बुरा वक्त आता है तो,
आप कितने अच्छे हो,
आप कितनी कोशिशें कर रहे,
चिजे सही करने की कोई फर्क नहीं पड़ता॥
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॥मैं एक लेखक हूँ॥
कलम मेरे जबात है,
और कागज़ दिल का हाल॥
किसी से कुछ कह नहीं पाता,
इसलिए कागज़ पर उतार देता हूँ ॥
चाहे वो चन्द प्यार भरी बातें हो,
या दिल का वो पुराना घाव॥
कहते हैं शरीर नश्वर है,
और आतमा अमर,
लेकिन क्यों पता नहीं॥
ऐसे कई सवाल है ज़हन में,
लेकिन शायद ही किसी का जवाब हो मेरे पास॥
इसलिए कागज़ को अपना दिल बनाया हूँ,
भले ही मेरे सवालों का जवाब न देता हो,
लेकिन सुकून बहुत देता है॥
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॥सत्य वचन॥
अगर तुम अच्छे हो तो तुम्हें पूरी दुनिया अच्छि लगेगी इसलिए कभी-कभी दूसरों का मुह बन्द कर के, तो कभी खुद चुप रह कर दुनिया वालो को तमाचा मारना ज़रूरी होता हैं॥-
॥एक कविता अपनी माँ और बहन के नाम- महिला दिवस॥
जो अपनो के लिए अपनी खुशियां तयाग दे,
वो है एक स्त्री॥
जो महावरि के दर्द को अकेले सह कर, उफ़ तक न करे
वो है एक स्त्री॥
जो ९ महिने एक जीव को अपने कोख में रखे,
वो है एक स्त्री॥
जो अपने बच्चों की खुशीयो के लिए,पूरी दुनिया से लड़ जाए,
वो है एक स्त्री॥
जो अपना पेट काट कर, अपनो का पेट भरे,
वो है एक स्त्री॥
जो तोड़ कर हर बंदी से आसमान छू रही,
वो है एक स्त्री॥
ईश्वर का दूसरा रूप,
वो है एक स्त्री॥
जितना गुणगान करू इनका उतना कम है,
क्यूंकि एक स्त्री से है हम॥-
शब्द नहीं एक खुशनुमा एहसास बना चाहती हूँ॥
जरूरत नहीं एक चाहत बना चाहति हूँ॥
आसु नहीं एक मुस्कराहट बना चाहति हूँ॥
धड़कन तो सब बनते हैं,
मैं तुम्हारे दिल का एक एहसास बना चाहति हूँ॥
जिस्म पर मरने वाले भी बहुत मिल जाएंगे,
मैं तुम्हारे रूह को छूने वाली बना चाहति हूँ॥-
॥इंसानियत॥
कितना छोटा शब्द लगता है,
सूने और पढ़ने में॥
लेकिन हमारे ज़ेहन की,
एक बहुत महत्वपूर्ण भावना है ये॥
सही मायने में इंसान उन्नति करते-करते ,
यही भूल गया है॥
कि इसका मतलब क्या होता हैं,
और यही उनके विनाश का कारण बन रहा॥
लोग तरक्की की जंग में कुछ इस तरह भाग रहे,
की इंसानियत क्या वो रिश्ते जैसी,
अनमोल चीज़ भी भूल जा रहे॥
आज सही मायने में,
"हमारे महान कवियों की बात सच होती जा रही"॥
"आखिर कलियुग आही गया",
"जहाँ कोई किसी का नहीं है"॥
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न चाह है किसी हमसफ़र की,
न चाह है किसी के साथ की,
चाह है तो बस सिर्फ भोले नाथ के हाथ
और आशीर्वाद की॥
ॐ नमः शिवाय ॥
बम बम भोले॥-
॥ हमारा बनारस॥
घाट के किनारे एक शाम गुजार के देखो जनाब दिल ना आजाए तो नाम बदल देना॥-
॥ मेरे प्यारे भैया॥
शब्द नहीं है कि बयान कर सकूँ,
अपने प्यार को तुम्हारे लिए॥
कहने के लिए होता है कि,
भाई दोस्त नहीं बन सकता,
लेकिन मेरे लिए मेरे भाई मेरे सब कुछ है॥
कयोंकि जब-जब जरूरत पड़ी है मुझे,
एक दोस्त, एक पिता, एक भाई की,
तब-तब पाया है,अपने भाईयों का साथ मैंने॥
हा हूं मैं लाडली इनकी,
जान छिड़कते है ये मुझ पर,
कयोकि किस्मत वाली हूं, मैं जो ऐसे भाई है मेरे पास॥
आसु आ जाते हैं आज भी ऑंखो में,
जब तुमहे दूर जाते देखतीं हूं,
कया करु लड़ना भी तुमसे है, और साथ भी तुम्हारा ही चाहिए॥
इसलिए एक बार फिर कहना चाहूंगी,
एक बहुत बड़ा शुक्रिया॥
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