divya sharma   (mrigtrishnaa)
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Joined 1 February 2020


Joined 1 February 2020
6 OCT 2024 AT 22:19

तू जख्म दे के छोड़, तू जान ले के‌ छोड़ -२
तू अपना दाम बता और दाम ले के छोड़
गुजारिश थी, गुमनामी में मरने दे मुझे -२
जा मत निभा, तू मेरा नाम ले के छोड़
तू कहता है तेरे मसले बड़े बहुत हैं -२
तो जा, उन्हें सुलझा, मुझे आज़ाद करके छोड़
यह क्या है कि तू जीने भी नहीं देता जाने भी नहीं देता
तू चाहे मुझे और बर्बाद कर बर्बाद करके छोड़
गुनहगार हूं मैं जो इश्क किया तुमसे -२
तू मुझे सज़ा दे, मेरे माथे पर इनाम रख के छोड़
रूह दफन है, दिल पत्थर, आंखें खाली -२
ये एक जिस्म बचा है, इसे भी नीलाम करके छोड़
मैंने खुद को तुम पर कुर्बान किया पूरा
तू मुझे रकीब पर वार करके छोड़
अब तो तू मुझे छोड़ दे ना -२
चाहे मेरे लिए दुनिया वीरान करके छोड़ ।।

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4 OCT 2024 AT 20:46

कुछ यूं जिंदगी से रुख मोड़ लिया मैंने -२
दर्द, खुशी, ग़म हर एहसास से रिश्ता तोड़ लिया मैंने
जिंदा रहना था मुश्किल बहुत मेरे लिए -२
तो जिंदगी का कान मरोड़ दिया मैंने
गर्दिशों से बचा ना कोई भी यहां
कुछ दर्द उधार लिया, कुछ गोद लिया मैंने
सजा दो, आओ, मारो मुझे कोई
खुद अपना ही ग़म कचोट लिया मैंने
कल नींद आई थी थोड़ी, आज उम्मीद जगी कुछ
खुद को पकड़ के फिर‌ झकझोर दिया मैंने
नामुरादी ही हो जिसकी फितरत का हुनर -२
उससे कैसा मोह... ये प्रश्न खुद से इस भोर किया मैंने
उसे कजरारी आंखें पसंद थी मेरी -२
सो काजल लगाना छोड़ दिया मैंने ।।

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29 AUG 2024 AT 23:11

कमबख्त इश्क में हो जाते हैं सब खास-2
वरना होते हैं सब आम आदमी
सीखते हैं कतरा - कतरा -2
करके उम्र तमाम आदमी
इक मुकम्मल नींद मांगी थी किसी से,
उसका भी रखता है हिसाब आदमी
नया इश्क करता है, शख़्स बदलता है
कईयों को करके ख़राब आदमी
खेलते हैं दूसरों से और बेचते हैं अपने जज़्बात
जिंदगी खुद पर फटे तो रह जाता है बस हैरान आदमी
देखते हैं, दिखाते हैं सब्जबाग-2
और बच जाते हैं आखिर में तन्हा और परेशान आदमी
रह जाते हैं सब ख़ामोश-2
जब करता है तमाशा सर-ए-आम आदमी
सीख करके किसी और से मोहब्बत का हुनर-2
करते हैं किसी और को प्यार आदमी ।।

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3 JUL 2024 AT 10:43

आज किसी ने पूछा मुझसे, तुमने कभी मोहब्बत की है?
हां... मैंने कहा
कितनी ?
उसने कहीं और ख़ुशी ढूंढ ली
और मैंने उसे जाने दिया ... इतनी ...

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28 JAN 2022 AT 13:30

"तुम बिन"

कुछ दिन तेरे बिन गुज़रे जो कर देंगे बर्बाद हमें
कुछ दिन तेरे संग गुज़रे जो, बस वो ही रखेंगें साथ हमें

जान तुम्हारी दिल तुम्हारा, आँखों में है अक्स तुम्हारा
तुम बिन भी दुनिया थी कोई, ये नहीं अब याद हमें

तुझको जीतूं और हार दूँ सब कुछ, करनी है फरियाद हमें
ग़म मिले सब पहले मुझको और सुख तेरे बाद हमें

अब तो तुझ संग जोड़ चुकी है, जीवन की बुनियाद हमें
देख ना कब से भिगो रही है, खुशियों की बरसात हमें .... — % &

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28 JUN 2021 AT 12:33

जो प्रेम है तो कह दो सखी, काहे को उदास हो
किसी के लिए बस हो तुम, किसी की पूरी आस हो
तुमसे ना हो तो मैं कह दूं, मन की भी कोई बात हो
मुंह पे ताला पड़ा है तेरे, कौन मेरी ज़बान हो ?
नैनों का पथ चुना अब मैंने, उसको न अब टार दो
उससे प्रेम है ये कह भी दो, शक्ति को विस्तार दो
कहो की उसका साथ मिले तो, जीवन पूरा वार दो
हाथों में गर हाथ मिले तो, अपनी नज़र उतार लो
मैं कितना कुछ कहता हूं अंदर, सुन मेरी भी बात लो
एक बार तो मान लो मेरी, उसको ये समाचार दो
मैं तो हिस्सा हूं तेरा, पर मुझमें वो समाया है
तू ही न सुने मेरी तो, किसने साथ जताया है
कर लो जो कहता हूं मैं, या मुझसे उसे निकाल दो
कह दो उसे या मार दो मुझको, किसी तो राह पे डाल दो
तुम बोलो ना गाल पे लाली, नैनों को अधिकार दो
ऐसा भी क्या जुर्म किए हूं, सुन लो मेरी पुकार को
जो प्रेम है तो कह दो सखी! काहे को उदास हो
जो भी मर्ज है तेरा-मेरा, मुमकिन है, दवा उसी के पास हो ।।

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28 APR 2021 AT 17:45

तुम्हें खो कर ज़िंदगी हार दी अपनी
अभी सांसें चल रही हैं, देख, ज़िंदगी से हारे नहीं है हम

तू सही या मैं गलत, इसी में गुज़ार दिया वक्त सारा
अपनी - अपनी जीत प्यारी है, एक-दूजे को प्यारे नहीं हैं हम

मेरी मोहब्बत पर सवाल ना उठाना भूलकर भी कभी
ऐसा कुछ भी नहीं मेरे पास, जो मोहब्बत पर वारे नहीं हैं हम

तेरे साथ की खातिर तरसे हैं तेरे पास होकर भी,यही एक शिकायत थी
बाकी, जितना समझा तुमने, उतना भी खारे नहीं हैं हम

तुम्हें गिला होगा की लौटे नहीं वापस;अपने सामने मरते देखें अपना प्यार
माफ करना, इतने भी बेचारे नहीं हैं हम

तुम मुझसे नफ़रत करो लाज़मी है बेशक
पर तेरी एक ख्वाहिश को जो टूट जाए, हां.... वहीं सितारे हैं हम

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23 APR 2021 AT 13:51

उसने छोड़ दिया मुझे और हिदायत दी कि खुश रहूं मैं
अरे ! कोई बताए उसे, पत्थरों में जां नहीं होती

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27 MAR 2021 AT 23:05

धर्मवीर भारती जी की
गुनाहों का देवता पढ़ने के बाद ...👇

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19 MAR 2021 AT 16:08

क्यूं बस कमज़ोरी की निशानी हूं, मुझे भी सम्मान का हक़ अता कीजिए
कीजिए - कीजिए .... कुछ तो सही, कुछ तो भला कीजिए

अरे! मर्द होकर रोते हो, चूड़ियां पहन लो
अमां छोड़िए, इस जेहनियत से ख़ुद को जुदा कीजिए

चूड़ियां कमज़ोरी नहीं है, ना ही कोई बंधन है
ये हंसती रहे हाथों में, बस यहीं दुआ कीजिए

चूड़ियां श्रृंगार हैं, लाज हैं, समर्पण हैं, त्याग हैं
इन्हें मोह बनाइए बेशक, कफस की न सज़ा कीजिए

अजी लीजिए, दीजिए प्रेम और सम्मान
सितमगर न बनिए, ना ही गमज़दा कीजिए

ना आंकिए मेरी रूह को जिस्म - सा कोमल
चंडी भी मैं ही हूं, जाइए, रूढ़ियों को रवां कीजिए

गर अब भी ना समझें हैं समाज के ठेकेदार
मेरी ज्याती राय है, जाइए... पहले दवा कीजिए ।।

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