Divya Rana   (दिव्य)
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Joined 3 May 2020


Joined 3 May 2020
5 JUN 2022 AT 7:08

बेशक तुम मोहब्बत करो
वो जन्नत है
मगर उतनी मोहब्बत की ख्वाइश मत रखो
वो दोज़ख है.

~दिव्य

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11 MAR 2022 AT 8:16


मैं अपनी जिंदगी का सच जानता हूं
मैं फिर भी रोज एक नया ख्वाब पालता हूं

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11 MAR 2022 AT 8:14

शायद मैं जिंदगी जी नहीं रहा हूं
मुझे जिंदगी जीने की आदत पड़ गई है

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27 SEP 2020 AT 23:07

हल्के हल्के बढ़ रही है चेहरे की लकीरें
नादानी और तजुर्बे में बटवारा हो रहा है

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27 SEP 2020 AT 23:05

हल्के हल्के बढ़ रही है चेहरे की लकीरें
नादानी और तजुर्बे में बटवारा हो रहा है

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15 JUN 2020 AT 5:20

दफन करने से पहले नवस देख लेना
कलाकार उम्दा है कहीं किरदार में ना हो

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11 JUN 2020 AT 22:06

दखल आपकी कोई खलल ना पैदा कर पाएगी
जिंदगी ऐसे ही जी हैं और ऐसे ही जिए जाएगी

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31 MAY 2020 AT 22:18

हर शख्स का मुझे दो किरदार दिख रहा है
मेरा दिमाग और नजरिया दोनों खराब हो रहा है

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31 MAY 2020 AT 21:53

मुझे कुचले हुए कागज पे लिखना अच्छा लगता है
वो हूबहू मेरे दिल सा लगता है

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31 MAY 2020 AT 21:35

मैं सोच ही रहा था
यह मेरे पास इतनी देर कैसे ठहर गया
इधर शाम ढली उधर सुकून चला गया

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