Divya Prakash Gaurav   (Divya Prakash "Gaurav")
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Joined 3 June 2019


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8 MAY 2022 AT 10:08

बिना घिसे हीं क्या कभी हीरा चमकता है
दुवाएं साथ हो मां के तभी किस्मत बदलता है
मेरे होठों पे है मुस्कान तुम्हें ताज़्जुब है लेकिन
दर्द मेरा मेरी मां के आँखों से छलकता है

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2 MAR 2022 AT 9:59



खुद में अच्छाई और दूसरों में बुराई ढूँढना
उतना हीं आसान है जितना मिट्टी से मिट्टी पर मिट्टी लिखना!

खुद में बुराई और दूसरों में अच्छाई ढूँढना
उतना हीं मुश्किल है जितना पानी से पानी पर पानी लिखना!!

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12 NOV 2021 AT 16:32

रूह ने तेरे मेरे रूह को छुआ है
आंखों में तू रहे आंखों की दुआ है
ऐसा तो पहले कभी ना हुआ था
तुमसे मिलकर जो कुछ हुआ है






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12 NOV 2021 AT 16:26


जो काम था दरिया का वो साहिल ने कर दिया
जिंदगी के हवाले मुझे कातिल ने कर दिया
इन आंखों की खाता इतनी है कि देखा है तुम्हें
बाकी का सारा काम तो इस दिल ने कर दिया







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26 OCT 2021 AT 21:59

शब्द अबोले रहे मौन सब कह गया
झुकी पलकें मोहब्बत की भाषा हुई


ना तो हमनें कहा ना तो तुमनें सुना
आंखों की आंखों से बात तो हो गई
ऐसे हम तुम मिले फिर कोई ना मिले
नदियां सागर में मिल कर के ज्यों खो गई
प्रेम की सब कसौटी है छोटी मगर
चुप्पियां प्रेम की परिभाषा हुई

शब्द अबोले रहे मौन सब कह गया
झुकी पलकें मोहब्बत की भाषा हुई

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16 JUL 2021 AT 10:40

तू पास मेरे सब खास लगे
तुम बिन झूठी अरदास लगे
जो तू ना मेरे पास पिया
बैमानी हर एक साँस लगे

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6 MAY 2021 AT 10:25

भले हों ठोकरें अनगिन
पड़े सौ दर्द भी सहना
समंदर से मिले बिना
नदी कब छोड़ती बहना

मिला तुमको जो मिलता
बड़ी मुश्किल से ये पल है
इरादे नेक हो गर तो
सभी मुश्किल का हल है
ना करना कुछ शिकायत तुम
किसी से कुछ नहीं कहना
समंदर से मिले बिना
नदी कब छोड़ती बहना

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26 FEB 2021 AT 16:11

ओ मेरी पहली प्रेमिका
तुम्हारी यादें
पुराने पांच सौ
और हजार के
नोट जैसे हैं
नहीं भजेंगे अब
इस गुलाबी बाजार में

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5 FEB 2021 AT 16:17

पत्र अवाचित रहे स्वर अबोले रहे
प्रेम की बात पर मौन सब कह गया

हमनें पुछा बताओ कि क्या चाहती हो
सिर्फ़ इतना कहा दिल बहुत है जला
आँख से आँख की हुई संवाद फिर
अपने घर वो चली अपने घर मैं चला
ना गरज हीं सका ना बरस हीं सका
अश्रुपूरित हमारा नयन रह गया
पत्र अवाचित रहे स्वर अबोले रहे
प्रेम की बात पर मौन सब कह गया

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27 NOV 2020 AT 11:59

दुनियां में सबको प्यार मिला
मेरे सिर्फ़ जुदाई है
है ऐसा ज़ख्म कमाया मैंने
दर्द हीं जिसकी दवाई है

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