"चुनाव कै बहार"
आइल चुनाव कै बहार बाय
होत परचार बाय न
आपन मतवा केहू न भुलायो
ओटवा देवै भईया तू ज़रूर जायो
तुहिन सब से जीत कै अगजवा
जनता से ही जीत बाय न
आइल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भईया बाबू सब कुछ देख्यो
पांच साल कै करतब सोच्यो
तुहिन सब कै बाय बस आसरवा
जनता से ही सरकार बाय न
आइल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पैसा रुपया पे मत कोई जईहो
सोच विचार से फर्ज़ निभईहो
तुहिन सब कै बाय अधिकरवा
जनता से मतदान बाय न
आइल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
✍️✍️ दिव्या मिश्रा
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