शब्द
गर पढ़ी होती लफ़्ज़ों में छुपी ख़ामोशियाँ,
तो ख़ामोशियों की ज़रूरत ना पड़ती हमें समझने के लिए।-
divya mishra
(दिव्यम्)
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Poetess/ Storyteller
Joined 1 August 2020
26 APR AT 1:31
27 MAR AT 2:17
रूमानी
रूमानी ना होना इतने भी ज़्यादा
कि आशिक़ी के नगमे सभी महज़ तुकबंदी हैं।-
11 MAR AT 6:26
नज़रिया
देख तो सब लेते हैं, पर बात नज़रिए की है।
क़ाबिल तो सब हैं यहाँ, क़ाबिलियत दिखने की ज़रूरत है।-
7 MAR AT 6:34
ख़ामोशी
ख़ामोशी की चादर ओढ़ा दी जो तुमने मुझे
तनहाइयाँ तुम्हारी फिर गूंजती क्यों हैं?-
21 FEB AT 0:10
Doubt
When we begin judging others, we also start suffering their insecurities.
दूसरों का सूक्ष्म विश्लेषण करना कहीं आपके बंधन
ना बन जाएँ।-
9 FEB AT 1:15
ख़्वाब
ख़्वाब देखना तो ठीक था।
गलत तो पूरे होने की शर्त रही।
चाँद तो आधा भी हसीन था,
फिर चाँदनी क्यों चाही?-