तुम तारों सा बन जाना ,
अंधियारा कितना भी हो पीछे।
जो भी देखे आसमां।
तुमपे ही नजर टिक जाए ।।
माना कि अंधेरों का अस्तित्व
घना होता है।।
पर तेरे जगमग स्वरूप से , तेरे धैर्य
अमर रूप से ।।
लिख जाता जैसे अफसाना।
जीवन पथ पे चलते जाना ❣️☺️
हर एक जंग जीत के आना।।
दिव्या मिश्रा
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आंखों के अश्रु को, समंदर सा बनाना।
मिला लेना खुद में, नदियों का अफसाना।।
जमाने का क्या,जमाना ही तो है।
लोग तुम्हें देखते ही स्तब्ध से हो जाए।
आंधियों में भी तुम --
कुछ इस कदर मुस्कुराना।।
बस,देखते ही रह जाए ,तुमको ए जमाना।
आंधियों से भी ,तुम कर लेना गहरी दोस्ती।।
सच बता रहें जीवन होगा तुम्हारा,
जैसे सीप में मोती ।
ये ही तो सिखाएगा तुमको धैर्य बढ़ाना।।
कि जीवन में गर कुछ है ।
तो बस ,चलते चले जाना।।
❣️
दिव्या मिश्रा जिंदासपुर अम्बेडकर नगर
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तेरे इतिहास से जाना, तेरे खामोशियों के शब्द।
तुम गर उस शब्द को आवाज,दे देती तो अच्छा था ।।
तुम हो वो सूर्य जो हर ले अंधेरा, कितनों जीवन का।
तुम गर वो नृप बन जाती,तो सोचो कितना अच्छा था ।।
न जाने कितने तुमको देख के , ईर्ष्या भी करते हैं।
न डरना तुम कभी इस बात से,तो सबसे अच्छा था।।
तुम हो आयाम उस जग की ,जो लाएगी सवेरा खुद।
बनो तुम इस तरह सूरज,तो जाने कितना अच्छा था।।
दिव्या मिश्रा जिंदासपुर अम्बेडकर नगर-
रात में, घने अंधेरों से ,
बोलो क्या, तारा डरता है?
अपने अस्तित्व को, कायम रख,
अंधेरों में ही ,चमकता है।।-
दृढ़ निश्चय को विश्वास बना -
तुम हर निश्चिय निश्चित कर दो ।
कांटे भी देख सहम जाएं।
कुछ ऐसे कदम फतह करदो।।
होगी जब रात ,सुबह होगी ।
किसने बोला तुम हार गए।।
तुम जीत गए जब रातों को।
समझो जीवन को तार ग ए।।
Divya Mishra
Jindaspur karmisirpur ambedkar nagar
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जीवनपथ पे हरपल तुमको,
चलते जाना है।
जीवन का तेरे पग से -
अद्भुत अफसाना है।।
हार -जीत सब मर्म मिटाके।
चलते जाना है।।
यही सोच राही को हरपल।
धैर्य बढ़ाना है।।
चलते चलते इक दिन,
तुमको जीत जाना है।
दिव्या मिश्रा-
दिन -रात यहाॅं जब होता है।
कुछ अद्भुत निर्णय होता है।।
हे परम तपस्वी,धीर आचरण।
जो इस पथ पे बोता है।।
फिर चाहे जो भी होता है।
वो हर पल चलता होता है।।
तुम धीर बनों भयभीत नहीं।
यह धरा स्वयं तुमसे कहदे।।
तेरे पग से राहत है मुझको।
कि जब तू मुझपे चलता होता है।।
तो मेरा जीवन पुल्कित होता है।
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हे परम तपस्वी,परम वीर, जीवन की अद्भुत धारा में,
जो चल जाए नित चूम -चूम ,कांटों को फूल बना करके।
फिर कौन वहां तुमको रोके ,तेरा धैर्य ही सब कुछ होता है।
तू चाहे जो भी बोता है, निर्भीक नहीं तब रोता है।।
तू चाहे जगता सोता है, राहों पे चलता होता है।-
नाज हमको है अपने अमर देश पे ।
है अमरवीर वीर भारत के जलते दिये ।
आये आँधी या तूफान कुछ भी यँहा ।
नाज हमको है अपने हर वेश पे।
क्या कहे वीर तेरे कुर्बान को।
क्या कहे हम खुदा और भगवान को।
तेरे जैसा जँहा मे कोई नही
नाज होता है तुमपे हिनदुस्तान को।
इस तिरंगे की शौहरत तुमसे बढे।
तेरे ही कर्म से देश फूले फले ।
तेरे याँदो मे आँखो मे आँसू भरा ।
तेरे जज्बात को है मेरा नमन ।
है लहरता तिरंगा सारा चमन।।
तुम्हे कितना भी दर्द मिले सरहदो पे ।
फिर भी तुम वीर रहते हो कितने मगन।
तुमको पूरे भारत धरा का नमन।।
तुमपे ही नाज करता पूरा चमन।।
I love my india
By divya mishra
Ambekarnagar-
तुम विकट परिस्थितियों में मुस्कुराना,लोग तुम्हें पत्थर दिल समझेंगे।
पर तुम सच में मुस्कुराए या नहीं ---
ये तेरे अपने हिल मिल समझेंगे।।
मुस्कुराने का क्या कभी बेवजह मुस्कुराना और देखना ।
जिसे खुशी होगी वो, झिलमिल समझेंगे।।
जिसे गम होगा क्यों हंसे ?पूछ तिलमिल समझेंगे।।
पर तुम मुस्कुराना जरूर -------
कभी कभी मुस्कुराना भी बन जाता है गुरूर----
जो बढाता है जीवन में ईर्ष्यालुओं के प्रति अपना नूर--
तो बताओ न मुस्कान कैसे हम हो जाएं तुमसे दूर 😀
दिव्या मिश्रा जिंदासपुर अम्बेडकर नगर
😇❤️
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