divya kriti   (Divya)
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Joined 23 February 2019


Joined 23 February 2019
28 DEC 2020 AT 13:07

Killing innocence in someone
Is like killing humanity

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4 DEC 2020 AT 21:02

उतरते है नकाब पर नकाब, एक ही शख्स में
लोग कितने हमे मिल जाते हैं

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28 NOV 2020 AT 23:00

अब किसी शख्स से मुझको मोहब्बत नहीं हो ती
कोई झूठ बोले तो नदामत नहीं होती
कोई दगा दे तो है रत नहीं हो ती
ऐसा बदले हैं तेरे शहर का पानी पी कर
किसी से अब मुझे मोहब्बत नहीं होती

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6 NOV 2020 AT 13:30

अब किसी शक्स की मुझे आदत नहीं होती
अब उसकी याद से वहशत नहीं होती
कोई झूठ बोले तो न दा मत नहीं होती
ऐसे ब द लें हैं तेरे शहर का पानी पीकर
कोई देता है दगा तो हैरत नहीं होती

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20 OCT 2020 AT 13:29

ए दिल जरा सम्भल कर ख्वाहिश कर
तेरे सजदे कुबूल होते हैं

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13 OCT 2020 AT 18:11

कुछ लम्हो का नहीं, में रा प्रेम
बिना देखे, बिना स्पृश. किए , सारी उम्र करती
रहूँ गी बस तुम्ही से प्रेम

तुम्हारी बातों से, तुम्हारी आंखो से
तुम्हारे किरदार से, बिना तुमसे कहे
करती रहूँ गी तुमसे प्रेम

चाहत नहीं कि पाऊँ
प्रेम के बदले प्रेम
निस्वार्थ निश्छल है मेरा प्रेम
रोम रोम में बसते हो
शब्दों में कह नही पाऊँ गी
दिल की हर बात, गर कर सकते हो
तो बस महसूस करो मेरा प्रेम


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12 OCT 2020 AT 15:36

Our life is a story, and it totally depends on us
How beautifully we write it

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8 OCT 2020 AT 22:30

Hothon pe muskurahat aankhon mein nami
Kuch is tarah humne juda hone ki rasm nibhai hai

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7 OCT 2020 AT 6:41

बड़े मजबूर हो कर तेरे दिल से निकले हैं हम
कौन खुशी से अपने घर से बाहर रहता है

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5 OCT 2020 AT 16:13

उन्हें भूल जाने को, हम बंजारों से
दिन भर अपने शहर की गलियों में भटकते रहे
पर कमबख्त उनकी याद हर मोड़ पर मिलती रही

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