लाख सूरज लीलकर भी आज हारा हूं
चांदनी के शोर में खामोश तारा हूं ,
सृष्टि के अस्तित्व पर में प्रश्न सूचक सा
हूं नहीं या यूं कहो संसार सारा हूं ।-
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तुम्हारे नही सुनने से कहानियां मर नही जाती हैं
वो फिर भी चीखती है , चिल्लाती है
बस वो तुम हो
जो बहरे हो चुके हो ।-
बारिश के बाद की धूप ,
जवां कुसुम छिप गई जलज में
वैसा रूप अनूप ।
श्यामल मेघों में ढंकी हुई शरमाई सी
शीतलता ने ज्यूँ बसी हुई सकुचाई सी
अल्हड़ थोड़ी सी थोड़ी सी घबराई सी
हांथों में रक्खे हांथों की नरमाई सी
मिलन विरह का संगम जैसे
निशा रवि की बाहों में हो
वैसा दिव्य स्वरूप ।
बारिश के बाद कि धूप ।-
थोड़ा वक्त लगेगा
सब ठीक हो जाने में ,
दर्द को आदत बन जाने में
थोड़ा वक्त लगेगा ।-
चमक चाँदनी की है
जमाने के लिए
कोई चाँद से अंधेरे की
बात तो करो ,
जिस रात आग छू कर वो बरफ़ हो गया
फिर कोई उस रात की
बात तो करो ।।
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वक़्त से काफी शिकायतें रही है हमें
सही वक़्त पर वक़्त नही मिला
और जब मिला ,
उसे बेवक़्त कह दिया ।-
अपनी ख्वाइशों को इश्क़ पर
तोहमत कर के ,
गुनाहगार हैं सब ही यहाँ
मोहब्बत कर के ।।-
हर रात
कुछ ख़्वाब
वहीं दफ़्न मिलते हैं ,
हर सुबह
उसी कब्र पर
कोई काली खिलती है ।-
वक़्त की हर चाल को
खुद पर चलते देखा है ,
लोग बदलते है
तुमने सुना होगा ,
मैंने खुद को बदलते देखा है ।
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वायदे थे कि रोशनियां बढ़ा दी जाएंगी
और हुआ यूं कि अंधेरा गहरा हो गया ,
हर आह के फिक्र की बात हुई थी
पर लगता है कौम ये बहरा हो गया ।।-