Divya Jain   (Divya Jain)
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Joined 22 December 2018


Joined 22 December 2018
29 DEC 2020 AT 0:32

The thought of my end gives me life before it!

‘each day is a bliss’

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22 AUG 2019 AT 0:50

चलो आज एक काम करते हैं,
खुद में कुछ सुधार करते हैं।
बहुत खामियाँ निकाल लीं जग में आज तक,
आज अपनी कुछ खामियाँ स्वीकार करते हैं।।

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26 MAY 2019 AT 20:36

Although,
I never get idea in rapid fire,
Still winning remains my desire.!

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19 MAY 2019 AT 18:26

You accepted me with all my flaws
You have lifted me in my lows
You bet yourself saving me in many situations
You are the one where my soul bows!

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12 MAY 2019 AT 21:05

दिल ख़ूबसूरत हमारा भी था,
जब तक हम उनसे मिले ना थे

नादान कभी मन हमारा भी था,
जब तक उनकी आँखों में हम बसे ना थे

आबाद खुद को रख कर,
कर दिया उनको बर्बाद हमनें

बेक़सूर कभी समय हमारा भी था,
जब तक धड़कनें उनकी चुराकर..
हम उनके क़ातिल बने ना थे ॥

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12 MAY 2019 AT 20:37

तेरी गोदी में सर रख कर माँ, ज़माना जैसे जी लिया
तेरे हाथ की थपकी ने, मानों एक अन्जान सहारा दे दिया
तेरी एक एक बात भी जैसे माँ, मेरे कानों में गूँजती है
तूने ठहरे हुए ही, मुझको जैसे, सारा आकाश दे दिया

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10 MAY 2019 AT 23:44

तारों संग चमक रहे जज़बात
महके फूलों सी ज़मीं सजी है
जैसे मिल गई हो हमें क़ुदरत की ख़ैरात ।

हवाओं को ना जानें क्या हुआ है
भरे अँधेरे में भी समाँ रोशन हुआ है
बहके कदमों की आहट है कोई, या महज़
आते-जाते ख़्यालों का सिलसिला लगा हुआ है ॥

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7 MAY 2019 AT 17:29

A shadow on my shoulder
A hiccup in my throat
The stammered words of a speaker
And a breaker on the road

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5 MAY 2019 AT 21:51

मैं तुझमें खो जाऊँ कहीं, तू मुझमें कहीं खो जा
तू लेकर मुझे किनारे अपने, चल एक नया जहाँ बसा
हाथ थामकर मेरा तू, नाते सारे तोड़ दे अब
ऐ ज़िन्दगी, भुला कर सारी दुनिया को, तू मेरे संग अब कदम बढ़ा

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1 MAY 2019 AT 22:23

मसल दिया ना वो फूल, जिसे तुम्हें गुल्दस्ताँ में सजाना था
कुचल दिये ना पँख उसके, जिसे आसमाँ का चक्कर लगाना था
तुम्हारी नहीं तो ऐसे कैसे किसी और की हो जाती वो
बदल दिया ना ख्वाब उसका, जो इकलौता उसका आशियाना था

नहीं नहीं, कोई नाराज़गी नहीं, महज़ एक-दो सवाल हैं तुमसे
बस ये बताना कि क्या ख़त्म हो गई पारी, या अब भी कोई मलाल है उससे
क्यूँकि ढ़ूँढ़ रही है वो वापस खुदको, जाओ तोड़ दो इससे पहले कि वो फिर खड़ी हो
शायद तुम्हें पता ना हो ये, इसलिये बस फ़र्ज़ की खातिर बताना था

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