अल्फाजों से ज्यादा कभी-कभी
खामोशी चुभ जाया करती है
अगर रख भी दू मैं अपनी दिल बात
कहां किसी को समझ में आती हैं।।-
मुझे बुला रहा हैं आसमान
ऊंची उड़ान ले लिए
इसलिए मैं लोगो ले ताने
दिल से नहीं लगती ।।-
अगर कोई शिकायत हैं तुमको
तो बोल दिया करो ना
अपनी इस चुभती चुप्पी को
तो तोड़ दिया करो ना
मना पड़ना आता हैं मुझे पर
कैसे पढ़ते हैं ख़ामोशी तुम ही
बता दिया करो ना।।
-
मंजिल दिख तो रही हैं दूर
मगर हम रास्तों में उलझे हैं
समझते हैं समय की कीमत को
मगर कुछ रिश्ते हमे रोके हैं।।-
मेरे मुंह से निकली बातों के
मायने हज़ारों निकलेंगे
दुनिया में जब लोग हज़ारों हैं
नजरिए भी कई हज़ार होगे ..
-
कुछ कहानियाँ बस इसलिए अधूरी रह जाती हैं
क्यूंकि उनके कुछ पहलुओं को
अनदेखा कर दिया जाता हैं-
हैं अगर दुनिया में सवेरा
तो काला अंधेरा भी तो हैं
हैं अगर गहरा समुन्दर
तो उसका किनारा भी तो हैं
हमेशा एक जैसा नहीं रहता वक्त
एक दिन इसे बदला ही हैं..-
अपने तकिए के नीचे मैने
रखे कई सपने हैं
एक ओर हैं वो सपने
तो दूसरी ओर मैने अपने हैं।-