मै मोहब्बत पुकारु और तेरा नाम हो जाए,
मै सुबह उठु और तु चाय हो जाए . . .-
हाँ, कशमकश मे कुछ यु रहते है हम,
जानकर भी अनजान रहते है हम,
चार दिवारो मे कैद होना ही था,
तो अब दिवारो से ही बाते करते है हम ।-
Kisi ke aane se zada, uske jaana ka gam hai,
Isilie humara aana-jaana zara
kam hai . .-
वो अंधेरे से भरी शाम भी कुछ कह जाती है,
वो रात के अफसाने चंद ख्वाब दे जाते है,
उस से एक बार मिलकर भी आऊ मै,
तो उसकी खुशबु अगली मुलाकात तक जाती नही है...-
हमे क्या, हम तो बंजर सी
जिंदगी को सवार लेगे,
तेरी नफरत के अफसाने
को गले से लगा लेंगे,
तुम फिकर करो खुदकी,
क्या इस धोखे को प्यार
बता पाओगे?-
कोई कब तक जागे,
यु तेरी यादो के खयालो मे,
सुकून मिलता नही,
दिदार तेरा होता नही,
मै किनारे भी हो जाऊ,
तो इस दिल को ये मंजूर नही,
यु कब तक जागना होगा,
तेरी यादो के खयालो मे ।-
मुझमे अभी तु जिंदा है,
मेरे हर अश्को पर जिक्र तेरा है,
कैसे बयां करु मै इस
मोहब्बत-ए-दास्तान को,
कि सासो की माला मे हर मोती तेरा है ।-
अगर मै भुल भी जाऊ,
वो बेवफाई का दौर फिर से आ ही जाता है,
अगर मै ना भी चाहु,
तो वो उन जख्मो को कुरेदा चले जाता है.-
सोचता बहुत है दिल,
कि ना किया जाए तुम्हे याद,
के खायी है इन खयालो ने कसम,
कि किया जाए इसे बेइंतहा बर्बाद . . .-
रात से गले मिलकर,
तुम कुछ इस तरह याद आए,
इस गली के अंधेरे मे,
तुम ही तुम नजर आए . . .-