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Joined 10 March 2019


Joined 10 March 2019
8 MAY 2021 AT 15:42

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9 MAY 2021 AT 11:52

नींद भी कम्बख्त आती कहां है अब
पलकों पे बोझ तो अपनों से बिछड़ जाने का है

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8 MAY 2021 AT 15:49

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31 DEC 2020 AT 22:24

तवायफ़ हूँ



Read in caption

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17 NOV 2020 AT 7:40

खामोशियों का कोई लफ्ज़ नहीं होता
लेकिन कह बहुत कुछ जाती है

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28 OCT 2020 AT 19:19

क्या मेरा क्या तुम्हारा
जो कभी हमारा हुआ करता था
वो आज फिर से मेरा और तुम्हारा में उलझ कर रह गया

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30 SEP 2020 AT 19:33

गर होती जुबां दर्द की ना......


यकीनन
कोई स्याहियां यूं ही ना बिखेरता

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23 JUL 2020 AT 17:16

काश कि मैं एक दर्पण होता
कम से कम खुद से रुबरु होने मेरे करीब तो आते

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23 JUL 2020 AT 10:18

मैं कण्ठ
तू बोली जिसकी
मैं रंग
तू होली जिसकी
मैं अल्फाज़
तू एहसास जिसकी
मैं शहद
तू मिठास जिसकी
मैं दर्द
तू आह जिसकी
मैं सच
तू गवाह जिसकी
मैं जिस्म
तू लिबास जिसकी
मैं मुरलीधर
तू राधा जिसकी
मैं ईद
तू चांद जिसकी
मैं काया
तू प्राण जिसकी

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22 JUL 2020 AT 22:22

एक गुलाब बना कर छोड़ दिया यही तो एक शिकायत है
कभी लोग तो कभी हालात मुझे तोड़ते बहुत है

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