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नींद भी कम्बख्त आती कहां है अबपलकों पे बोझ तो अपनों से बिछड़ जाने का है -
नींद भी कम्बख्त आती कहां है अबपलकों पे बोझ तो अपनों से बिछड़ जाने का है
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तवायफ़ हूँ Read in caption -
तवायफ़ हूँ Read in caption
खामोशियों का कोई लफ्ज़ नहीं होता लेकिन कह बहुत कुछ जाती है -
खामोशियों का कोई लफ्ज़ नहीं होता लेकिन कह बहुत कुछ जाती है
क्या मेरा क्या तुम्हारा जो कभी हमारा हुआ करता था वो आज फिर से मेरा और तुम्हारा में उलझ कर रह गया -
क्या मेरा क्या तुम्हारा जो कभी हमारा हुआ करता था वो आज फिर से मेरा और तुम्हारा में उलझ कर रह गया
गर होती जुबां दर्द की ना......यकीनन कोई स्याहियां यूं ही ना बिखेरता -
गर होती जुबां दर्द की ना......यकीनन कोई स्याहियां यूं ही ना बिखेरता
काश कि मैं एक दर्पण होताकम से कम खुद से रुबरु होने मेरे करीब तो आते -
काश कि मैं एक दर्पण होताकम से कम खुद से रुबरु होने मेरे करीब तो आते
मैं कण्ठ तू बोली जिसकीमैं रंग तू होली जिसकीमैं अल्फाज़ तू एहसास जिसकीमैं शहदतू मिठास जिसकीमैं दर्द तू आह जिसकी मैं सचतू गवाह जिसकीमैं जिस्म तू लिबास जिसकीमैं मुरलीधर तू राधा जिसकी मैं ईद तू चांद जिसकीमैं काया तू प्राण जिसकी -
मैं कण्ठ तू बोली जिसकीमैं रंग तू होली जिसकीमैं अल्फाज़ तू एहसास जिसकीमैं शहदतू मिठास जिसकीमैं दर्द तू आह जिसकी मैं सचतू गवाह जिसकीमैं जिस्म तू लिबास जिसकीमैं मुरलीधर तू राधा जिसकी मैं ईद तू चांद जिसकीमैं काया तू प्राण जिसकी
एक गुलाब बना कर छोड़ दिया यही तो एक शिकायत है कभी लोग तो कभी हालात मुझे तोड़ते बहुत है -
एक गुलाब बना कर छोड़ दिया यही तो एक शिकायत है कभी लोग तो कभी हालात मुझे तोड़ते बहुत है