तुम लिखना एक कबिता मुझपर
मेरी आँखों के बजाए उसमे छुपे दर्द पर
तुम लिखना एक कविता
मेरे होंठो के बजाए मेरे शब्दों पर
तुम लिखना एक कविता
न लिखना मेरी सुंदरता पर तुम कुछ
तुम लिखना मेरे हृदय की पवित्रता पर
तुम लिखना एक कविता मुझपर
मैं चाहती हूं ये दुनिया मुझे वैसे देखे जैसे तुम मुझे देखते हो।।
तुम वो सब लिखना उस कविता में जो तुम अक्सर ही मुझसे कहते हो.....
"तुम्हारे खुले बाल तुम्हारी आजादी का प्रतीक हैं। उन्हें किसी के कहने पर कभी मत बांधना।।"
"तुम्हारी आँखों मे एक दुनिया बसी है पूरी, तुम कभी केवल खुद में सिमट कर मत रह जाना।।"
"तुम आवाज में समेटे हो अपने कई लोगों के दिल की बाते, इसे कभी रोकना मत।।"
"है तुम्हारे पैरों के नीचे दुनिया, तुम कभी पैरों में बेड़ियां मत पड़ने देना।।"
और भी न जाने क्या क्या....
तुम वो सब लिखना जो तुम कहते हो, जो नही कहते.....
तुम मुझपर एक कविता लिखना।।
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