कुछ दूरियाँ उन्हें पसंद आने लगी थी.....
फिर हमनें भी वक्त मांगना छोड़ दिया......-
काठावर बसून भिजलेल्या पायाने....
तो, प्रेमाची खोली मापत राहिला
आणि मी....बुडाले होते.-
सुनो ना...
उस रोज जब मिलोगे अपने सवाल लेकर
और गर मैं रो पडूँ जवाब देकर
तो बस एक बार मुझे गले लगा लेना तुम हसकर-
किस्से काफ़ी है हमारे जिनकी महफ़िल सजेगी
तुम जरूर शामिल होना उस महफ़िल में
दास्ताँ खत्म होने जा रहीं हैं
तुमसे हुई मोहब्बत की................. 💔-
बस बात करने के लिए बात करते हैं
बात करने के लिए कुछ है हीं नहीं
चलो मान लिया कोई बात नहीं
पर जो भी बात होती है
अब उस बात में भी वो बात नहीं-
तुझी वाट बघतांना...
दिवस उजळून,सुर्यास्त होऊन जातो...
पण वाट बघणं संपत नाही...
आयुष्यातील तुझी छाप पुसुन टाकणं
अजूनही मला जमत नाही...-
रोज रात बैठकर मैं सिर्फ यही सोचतीं रहीं की
मेरी कोनसी ऐसी बात है जो उसे बुरी लगीं होगी
कितनी पागल थीं ना मैं
ये तो कभी सोचा हीं नहीं के
शायद किसी कि कोई बात उसे अच्छी लगी होगी
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इश्क़ में रहकर
बड़ी शिद्दत से झूठा बनाया मुझे
जो भी किया
बड़ी बखूबी से नीचे गिराया मुझे-