दिल में jazbaaton ka सैलाब sa है Aur आंखों mein नमी si है ... Par inko बयान na कर paun किसी से शायद... ab alfaazon ki कमी si है ... Ya यूँ कहें कि, ab इन alfazon के pass मेरे jazbaaton ke liye ज़मी ki कमी si है ...
शरीर पर lage घाव अपना nishaan छोड़ जाते है , पर उन ghaon का क्या जो dil पर लगे होते है , ना तो वो घाव najar आते है और ना ही unke निशान, बस बाकी reh जाती है yaadein.. जो, vakt बेवक्त satati रहती है।
Kehte है कि wakt के साथ आदतें भी badal जाया करती hai, Par in ankhon की jo आदत है ना , जब भी teri गली से गुज़रते है , कमबख्त tuze ही ढूँढ़ती है, बस woh hi आदत नहीं chutati..