तेरे माथे को चूमा तो चांद चूम लिया,
उन सात फेरों में तुझ संग जग घूम लिया।-
तेरे माथे को चूमा तो चांद चूम लिया,
उन सात फेरों में तुझ संग जग घूम लिया।-
मैं लोगों को प्यार समझाने निकला हूं,
मैं आशिकों का काफिला बनाने निकला हूं।-
बोलने वाले तो चारों ओर है,
सुनने वाला कोई हो तो बात अलग है,
सपने तो मैं भी देख लूं नींदों में बहके,
बुनने वाला कोई हो तो बात अलग है।-
उम्र के इस पड़ाव में, खोया कुछ, पाया कुछ,
नादान मन से, अपनाया कुछ, ठुकराया कुछ,
सफर मुश्किल था माना लेकिन जीना आ गया,
तजुर्बे लिए इस खेल में, सीखा कुछ, सीखाया कुछ।-
है जो हासिल मुझे, तकदीर है या मेरी अर्ज़ी का असर है,
ये मैने खुद पाया है, या खुदा की मर्ज़ी का असर है।-
मैं ही शून्य, तुच्छ, अपूर्ण हूं,
संसार में शामिल विकार हूं,
मैं ही तीव्र, जटिल, निपुण हूं,
मैं ही स्वयं स्वप्न साकार हूं ।-
अच्छा - बुरा, ऊंच - नीच, इज्ज़त - बेइज्जती, संभाल लेंगे न,
अभी तक निकाला है, आगे भी निकाल लेंगे न।-
कुछ बातें अनकही, यूं आंखों से कहती हो,
माना नजरों के खेल में माहिर हो तुम,
है मेरे भी लिखने का अंदाज़ ऐसा,
कि हर लफ्ज़ में ज़ाहिर हो तुम।-
दुनिया के तौर तरीकों से, हम अनजान भले,
लाख़ शातिर से ज्यादा, हम नादान भले।-