Dipika Pushkar  
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Joined 4 September 2020


Joined 4 September 2020
11 APR AT 19:01

तुम्हारा उस शाम
पुरानी दिल्ली की गालियों में होना..
और आज रात
चांद रात का होना कोई संयोग तो नहीं ...
संयोग हैं तो इस बात का
कि उस शाम बातें और ढेर सारी बातें थी ...
और आज रात हैं तो बस
ख़ामोशी,अफसोस,मलाल और खालीपन...
ख़ामोशी.. बहुत कुछ होकर भी कुछ न कह पाने की..
अफसोस..अपने हालातों पर..!!
मलाल..साथ न रह पाने का..!!
खालीपन.. यूंही जीवन बिताने का..!!
Two years to us...💕💕


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9 APR AT 10:15

वो मेरी ख्वाइशों का पिटारा था
वो पिटारा कहीं गुम हो गया हैं..!!

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14 FEB AT 14:22

जब कभी हम अजनबी हो जाएं
चलते फिरते राहों में टकराए
नज़रे मिले और होंठ मुस्कुराएं
सुकून इधर भी, सुकून उधर भी होगा
जब मेरे कांधे पर उसका दिया बैग
और उसके गले में मेरा मफ़लर होगा..।।

❣️Happy valentine's Day❣️

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10 JAN AT 21:58

वो जो दिल की बातें हैं न
अब...
दिल में ही दफ़न हो जाती हैं ..!!

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31 DEC 2023 AT 11:13

नींद से उठकर, पहला ख्याल तेरा क्यूं आता हैं..
जुबां पर नाम, पहला तेरा क्यूं आता हैं,
यूं तो जाता हुआ दिसंबर बहुत कुछ अपने साथ लेकर जा रहा रहा हैं..
यहां भी पहला नाम तेरा क्यूं आता हैं..।।

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29 DEC 2023 AT 14:20

किसी को याद करना
और उससे ज़िक्र न करना
ठीक वैसा ही हैं
जैसे इंतज़ार करना
और फ़िक्र न करना

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25 DEC 2023 AT 22:45

मैं हर एक ..
तरकीब आज़मा रही हूं..
उसका साथ निभाने की...!!
वो हर एक..
तरकीब पर पानी फेरता..
नज़र आ रहा हैं...!!
मैं कैसे उसके साथ की कल्पना करू..
वो अपनी हर एक उम्मीद हारता जा रहा हैं...!!

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9 DEC 2023 AT 22:54

मैं चाहती हूं एक अंत होना.
अनंत की भीड़ से परे होना..!
वक्त बेवक्त के ख्यालों से विपरीत.
स्वयं में ही विलीन होना..!
क्या खोया क्या पाऊंगी.
मैं खुद एक पूर्णविराम बन जाऊंगी...!!

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2 DEC 2023 AT 23:12

मुझे इश्क़ ए बनारस कुछ यूं हुआ..
मैंने तुम्हें बनारस में पाया..
तुम्हें दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती में पाया..
घाट पर बैठ अपने ख्यालों में पाया..
बनारस की गलियों में पाया..
कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान में पाया..
घाट पे बैठ चाय की चुस्की में पाया..
काशी विश्वनाथ के दर्शन में पाया..
दियो की रोशनी में पाया..
पटाखों की चमक में पाया..
बनारस की चाट से लेकर मलाइयो में पाया..
अस्सी से मणिकर्णिका के नाव के सफ़र में पाया..
मुझे इश्क़ ए बनारस कुछ यू हुआ..
तुम्हें मैं जीवन में पा न सकी..
लेकिन तुम्हें मैंने बनारस में पाया...।।

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20 NOV 2023 AT 14:31

हर दिन बस इस उम्मीद में गुज़र रहा हैं..
कि हर सुबह की एक शाम होना बाकी हैं...!!
चाहें खोने को कुछ भी नहीं..
पाने को अभी आसमां बाकी हैं...!!

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