तुम्हारा उस शाम
पुरानी दिल्ली की गालियों में होना..
और आज रात
चांद रात का होना कोई संयोग तो नहीं ...
संयोग हैं तो इस बात का
कि उस शाम बातें और ढेर सारी बातें थी ...
और आज रात हैं तो बस
ख़ामोशी,अफसोस,मलाल और खालीपन...
ख़ामोशी.. बहुत कुछ होकर भी कुछ न कह पाने की..
अफसोस..अपने हालातों पर..!!
मलाल..साथ न रह पाने का..!!
खालीपन.. यूंही जीवन बिताने का..!!
Two years to us...💕💕
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