Dipika Pushkar  
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Joined 4 September 2020


Joined 4 September 2020
30 JUN AT 17:27

इस दुनिया की भीड़ में जब ख़ुदको अकेला पाओ,
तो समझ लेना तुम बड़े हो गए हो..!!
तुम्हारी खुशियां महत्त्व नहीं रखती,
महत्त्व कुछ रखता हैं तो जिम्मेदारियां..!!
क्योंकि वहीं अब जीवन हैं,
खुशियों को एक तिज़ोरी में बंद कर ताला लगाना हैं,
और जिम्मेदारियों का बोझ जीवन भर उठाना हैं..!!

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5 DEC 2024 AT 22:28

एक लड़का है
अब उससे बात नहीं होती
सुबह तो होती है
लेकिन मेरी शाम नहीं होती
मेरी यादों में वो आज भी शामिल हैं
लेकिन अब उससे पहले सी फ़रियाद नहीं होती
मेरी नज़रे ढूंढती हैं उसे हर जगह
उससे अब वजह बेवजह मुलाक़ात नहीं होती
मैं आज भी उसके इंतजार में राह तक रही हूं
वो आए और सीने से मुझे लगाएं
ऐसी ख्वाहिशें कभी साकार नहीं होती
एक लड़का है
अब उससे बात नहीं होती
मेरी सुबह तो होती है,
लेकिन अब सुकून भरी शाम नहीं होती...।।


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11 APR 2024 AT 19:01

तुम्हारा उस शाम
पुरानी दिल्ली की गालियों में होना..
और आज रात
चांद रात का होना कोई संयोग तो नहीं ...
संयोग हैं तो इस बात का
कि उस शाम बातें और ढेर सारी बातें थी ...
और आज रात हैं तो बस
ख़ामोशी,अफसोस,मलाल और खालीपन...
ख़ामोशी.. बहुत कुछ होकर भी कुछ न कह पाने की..
अफसोस..अपने हालातों पर..!!
मलाल..साथ न रह पाने का..!!
खालीपन.. यूंही जीवन बिताने का..!!
Two years to us...💕💕


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9 APR 2024 AT 10:15

वो मेरी ख्वाइशों का पिटारा था
वो पिटारा कहीं गुम हो गया हैं..!!

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14 FEB 2024 AT 14:22

जब कभी हम अजनबी हो जाएं
चलते फिरते राहों में टकराए
नज़रे मिले और होंठ मुस्कुराएं
सुकून इधर भी, सुकून उधर भी होगा
जब मेरे कांधे पर उसका दिया बैग
और उसके गले में मेरा मफ़लर होगा..।।

❣️Happy valentine's Day❣️

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10 JAN 2024 AT 21:58

वो जो दिल की बातें हैं न
अब...
दिल में ही दफ़न हो जाती हैं ..!!

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31 DEC 2023 AT 11:13

नींद से उठकर, पहला ख्याल तेरा क्यूं आता हैं..
जुबां पर नाम, पहला तेरा क्यूं आता हैं,
यूं तो जाता हुआ दिसंबर बहुत कुछ अपने साथ लेकर जा रहा रहा हैं..
यहां भी पहला नाम तेरा क्यूं आता हैं..।।

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29 DEC 2023 AT 14:20

किसी को याद करना
और उससे ज़िक्र न करना
ठीक वैसा ही हैं
जैसे इंतज़ार करना
और फ़िक्र न करना

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25 DEC 2023 AT 22:45

मैं हर एक ..
तरकीब आज़मा रही हूं..
उसका साथ निभाने की...!!
वो हर एक..
तरकीब पर पानी फेरता..
नज़र आ रहा हैं...!!
मैं कैसे उसके साथ की कल्पना करू..
वो अपनी हर एक उम्मीद हारता जा रहा हैं...!!

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9 DEC 2023 AT 22:54

मैं चाहती हूं एक अंत होना.
अनंत की भीड़ से परे होना..!
वक्त बेवक्त के ख्यालों से विपरीत.
स्वयं में ही विलीन होना..!
क्या खोया क्या पाऊंगी.
मैं खुद एक पूर्णविराम बन जाऊंगी...!!

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