Dipanshu   (गुमनाम)
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Joined 12 February 2019


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27 APR AT 23:37

किसी बड़ी दरगाह का
छोटा-मोटा भिखारी हूँ
दिखता सबको हूँ
मगर किसी को दिखता नहीं 😅

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17 APR AT 11:20

तिल भर सी मेरी मोहब्बत पर
तुम नफ़रत का पहाड़ रख देती हो
पल भर जो हासिल हो कोई नज़र
तुम पल भर में नज़र भर देती हो
दस्त मे दस्त रहे होंगे जमाना रहा होगा
अधूरी मोहब्बत का फसाना रहा होगा
कुछ ख्वाहिशें कुछ जुमलेबाजियाँ रही होंगी
तेरा भी कोई आशिक़ कोई दीवाना रहा होगा

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15 MAR AT 16:09

घर की चहल-पहल ने मुझको वीराना कर दिया
कुछ दिनों की बात को जमाना कर दिया
बिछाई थी नई चादर बिस्तर पर अपने
तेरी यादों के सैलाबों ने उस पुराना कर दिया

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24 DEC 2023 AT 18:36

पहली मुहब्बत की सच्ची सी दास्ताँ याद आई
सच्ची मुहब्बत की परछाई जिस्म के बाद आई
और बाद-ए-मुहब्बत की मुहब्बत-ए-मुहब्बत तो था मैं
बस इसी मुहब्बत के कारण ही असली फ़साद आई

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19 DEC 2023 AT 13:57

मौसम-ए-सर्द की रात होगी,
अहल-ए-दिल होगा, बात होगी,
कौन संभलने-संभालने की जहमत करेगा,
सुर्ख लबों पे लबों की सौगात होगी।

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8 DEC 2023 AT 21:48

पहली नज़र का पहला सा एहसास देखो
क़ुर्बत-ए-चश्म का मसअला-ए-खास देखो
मालूम नहीं है नाम-ओ-निशाँ भी जिसका
उसके लिए ये इज़्तिराबी ये ऊलास देखो

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2 DEC 2023 AT 22:38

जानिब-ए-दिल से निकलती है आह
तो कोहराम मच जाता है,
बेबाकी से करते हैं वो इंकार
तो जख़्म खुरच जाता है,
वो चले जाते हैं ताव से
अपना रौब दिखाकर,
कहनी थी उनसे इक बात
कि कहने को इक मिसरा बच जाता है,
"कि गालों मे तुमने रंग क्या मला जब से,
याद करके हर दफा धोख़ा रच जाता है" ।।

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26 AUG 2023 AT 0:40

निशाँ ए इश्क़ मेरे जिस्म पे काबिज है तेरा जाना
जीस्त में मेरी ये बेपनाह इश्क़ बारिज़ है तेरा जाना
फतूर-ए-इश्क़ ने तेरा कैसा हाल कर दिया, हाए
बेहिस पड़ा है जिस्म, जर्रा-जर्रा आजिज़ है तेरा जाना

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24 AUG 2023 AT 2:16

दस्तूर था लड़कपन था दरमियाँ हमारे,
इक उम्र बावला-पन था दरमियाँ हमारे ।।
बरसात से छिड़े गुल शर्मा गए सर-ए-रह,
गीली सड़क पे इक सावन था दरमियाँ हमारे ।।
भाड़े का आशियाँ मेरा, वो मकाँ की मालिक,
पर्दे के पार इक आँगन था दरमियाँ हमारे ।।
वो भूलता रहा, उसको खोजता रहा मैं,
इक लहु-लूहान मधुवन था दरमियाँ हमारे ।।
था राब्ता उसे कुछ छायी थी बेकरारी,
दिल-चस्प इक मक़ामन था दरमियाँ हमारे ।।
छाया फितूर उतरा आया नया जमाना,
तो यक-ब-यक नयापन था दरमियाँ हमारे ।।
उल्फत रही कभी, कुछ पल बे-मुरव्वती थी,
"गुमनाम" दोगला-पन था दरमियाँ हमारे ।।

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14 JUL 2023 AT 22:18

कीन्नी मुहब्बत करू तुझसे
मै कैसे जिंदगी का गुजारा करूँ,
तू नसीब हो मुझे तो देखे मुझे
मै तेरे पुरआब को निहारा करूँ ।।

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