दिनेश सागर  
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Joined 1 May 2018


Joined 1 May 2018
2 JUN 2023 AT 16:45

दो जून की रोटी
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दो जून की रोटी का सवाल
आज का ही नहीं बल्कि
सदियों से चला आ रहा अविराम
और बना रहेगा तब तक
जब तक काबिज़ रहेगा पूँजीवाद!

- दिनेश सागर

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14 FEB 2023 AT 10:59

It's not important how many years you live, but how you live that is important.

- Dinesh Sagar

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28 FEB 2022 AT 20:08

युद्ध और बुद्ध
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युद्ध की राह में
हिंसा, बर्बरता और विनाश होता है
बुद्ध की राह में
प्रेम, सौहार्द और शांति मिलती है,
युद्ध की राह चुनने वाले
चाहे जो भी हो जायें
मनुष्य तो कभी हो नहीं सकते,
बुद्ध की राह चुनने वाले
चाहे जो भी हो जाये
अपना मनुष्यत्व कभी नहीं छोड़ते,
युद्ध और बुद्ध
दोनों में से हम किसको चुनते हैं
यह अपनी निजता है कि
हम मनुष्य बनना चाहते हैं
या फिर बर्बर हिंसक विनाशक,
अधिक वही ठहरता है
जो बुद्ध की राह पर चलता है
युद्ध का संकेत विनाश तक ले जाता है l

- दिनेश सागर (22 फरवरी 2022)

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26 DEC 2021 AT 15:33

"हम उस आभास को सच मानते हैं
जो हमारे स्वार्थ में होता है
बड़े खुदगर्ज़ होते हैं हम
जिसे पसंद करते हैं उसकी बुराईयां भूल जाते
जिससे नफ़रत करते हैं उसकी अच्छाईयाँ भूल जाते l"

Dialog :- Wedding_Anniversary_ movie _2017_Nana Patekar

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24 OCT 2021 AT 6:15

अपने दुःख
तुम मुझसे नहीं कहोगे
तो किससे कहोगे
और दुनिया में तुम्हारा
है ही कौन ?

मैंने देखा वह मक़ाम
जहाँ दुनिया पीछे छूट चुकी थी
और दुनिया का मतलब
मेरे लिए
सिर्फ़ तुम थीं

और तुम भी
एक असमाप्य दूरी से
सुनती थीं मेरी पुकार
उस निपट असहायता में
मैं फूट-फूट कर रो पड़ा

तुमने कहा :
कहते तो हो
कि रह लूँगा
पर मेरे बिना
कैसे रहोगे ?

अपने दुःख
तुम मुझसे नहीं कहोगे
तो किससे कहोगे ?

शब्द :- पंकज चतुर्वेदी
पोस्टर :- दिनेश सागर

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24 OCT 2021 AT 1:05

उन्होंने तुमसे कभी कुछ नहीं माँगा
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उन्होंने तुमसे कभी कुछ नहीं माँगा
कि मुझे चौबीसों घंटे बिज़ली मिले
और चमचमाती हुई हज़ारों मील लंबी सड़कें दो

कभी नहीं माँगी मॉर्डन मॉडलों से निर्मित
बहु मंजिला आवासों की सुख सुविधाएं
वे अपनी घास-फूंस की झोपड़ियों में ही खुश हैं

वे नहीं चाहते कि किसी बीमारी का इलाज
किसी नामचीन सरकारी अस्पताल में हो
उनके पुरखों की दी हुई परंपरा का अपार ज्ञान
तुम्हारी आधुनिक तकनीकों से कहीं बेहतर है

उन्हें कहीं जल्दी नहीं पहुँचना जिसके लिए
किसी बुलेट ट्रेन या वायुयान की जरूरत हो
उनके पैरों की रफ्तार अभी भी बरक़रार है

नहीं जरूरत उन्हें बैंकिंग सुविधाओं के प्रलोभन की
अपनी जरूरत से ज्यादा संचित करना ही नहीं सीखा
किसी मज़लूम के हिस्से का नमक रोटी नहीं छीना

नहीं चाहा किसी के हिस्से से अपना पेट भरना
नहीं चाहते पृथ्वी से अलग किसी ग्रह पर अपना कब्जा
और तुमने दिए तो महज़ बेबसी और बेदखली के तौहफे

उन्होंने अपने जीवन यापन के लिए कभी कुछ नहीं माँगा
अपने जंगल, नदी, पहाड़ों और अपनी जमीन पर
कोई दखल न देने के अलावा कभी कुछ नहीं माँगा l

शब्द एवं पोस्टर :- दिनेश सागर

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8 SEP 2021 AT 10:26

স্ত্রী এক নদী
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নদী যখন কোনো কথায়
খুব দুঃখিত হয়
তখন সে তার উৎপত্তি স্থল বা
অপরিষ্কার ঘাটের কোন রকম দোষারোপ করে না
নদীতে ভেসে আসা আবর্জনা পদার্থ বা দ্রবীভূত জীবজন্তুর প্রতি অতিষ্ট না হয়ে নদী চুপচাপ সমুদ্রের কোলে ঘুমিয়ে পড়ে,

নারী জাতি নদী সমতুল্য
আপন কোন ব্যক্তির কাছ থেকে পাওয়া আঘাতে আহত হলে
মৌন সমুদ্রের তীরে গিয়ে আপন মনের কষ্টের কথা বলে
যেখানে তার ক্রন্দন শোনার মতো কেউ থাকে না
বালুকারাশির উপরে বারবার নিজের দুঃখের কথা লিখে
অশ্রুজলের নিঃশেষিত শান্ত ঢেউয়ে
ধুয়ে নেয় দুঃখের সমস্ত গণ্ডিকে।

शब्द : दिनेश सागर
अनुवाद : संजीत सरकार (সঞ্জিত সরকার)
पोस्टर : दिनेश सागर

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8 SEP 2021 AT 9:05

स्त्री एक नदी है
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नदी जब किसी बात से
बहुत दुखी होती है
तब वह अपने उद्गम स्थल या
गंदे घाटों से शिकायत नहीं करती
न उसमें घुले अपशिष्ट पदार्थ या जीव जंतुओं से
चुपचाप सो जाती है समंदर की गोद में

स्त्री एक नदी है
किन्हीं अपनों से आहत होने पर
मौन समंदर किनारे जाकर रो लेती है
जहाँ उसके क्रंदन को सुनने वाला कोई न हो
वह रेत पर बार-बार अपना दुख लिखती है
आँखों में उमड़ते हुए आँसुओं की शांत लहरों से
धो लेती है दुख की तमाम लकीरों को l

शब्द : दिनेश सागर
पोस्टर: दिनेश सागर

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8 AUG 2021 AT 7:13

गलतियों से जुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं,
दोनों इंसान हैं, खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं
तू मुझे औऱ मैं तुझे इल्जाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नहीं, मैं भी नहीं
गलतफमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां
वरना बुरा तूभी नही, मैं भी नहीं l

- अज्ञात

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5 JUL 2021 AT 5:43

'किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा l

शब्द - अहमद फ़राज़
पोस्टर - दिनेश सागर

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