Dinesh Rathod   (Dinesh Prakash Rathod (DPR))
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Joined 28 January 2018


Joined 28 January 2018
4 MAR 2024 AT 20:20

पोट तुझं भरलं असेल तर,
देवा माझ्यासाठी घेऊ का,
तुझं राहिलेलं उष्ट,
माझ्या घरी मी नेऊ का.?
देवा इथे मात्र तुमची,
मस्त अंगत पंगत रंगलीय,
घरात पीठ नाही म्हणून,
सकाळीच आई बाबासोबत भांडलीय.
मूठभर पिठासाठी,
आई सगळ्या गल्लीत हिंडली,
सगळ्या शेजारच्यांनी,
तुझ्या नैवेद्याची सबब सांगितली.
देवा आज सकाळी मला,
सडकून भूक लागली,
अचानक तुला आठवून,
तुझ्या मंदिराकडे धूम ठोकली.
देवा मला तुझा
कधी कधी हेवा वाटतो,
एका जाग्यावर बसून,
मस्त नैवेद्याचा मलिंदा लाटतो.
दर्शनासाठी आलेल्या लोकांनी,
नारळाचा तुकडा हातावर ठेवला,
तुला मात्र देवा त्यांनी,
अर्धा नारळचं वाहिला.
माफ कर देवा मला,
तुझा घास हिसकावतोय,
अर्ध्या कोर तुकड्यासाठी,
भाऊ माझा घरात रडतोय.
देवा मी आता ठरवलंय,
तुझ्यासोबत बंड करायचं,
माझ्या भाकरीच्या प्रश्नासाठी,
स्वतःच पेटून उठायचं!

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31 MAY 2018 AT 12:04

तुला माझी आठवण येवो ना येवो
पण मला तुझी आठवण नेहमी येते.


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14 NOV 2020 AT 18:57

हर तरफ सज़ रही दीवाली है
हम ग़रीबों के घर रोज़ा रखने की बारी है।

माना की अमीरों के घर जलते है
घी के दीये
हम ग़रीब तो हर रोज़ तरसते है तेल के लिये।

अमीरों के घर फटाकों की आतीषबाजी़ होती है
हम गरीबों के घर खाली बरतनों की आवखज़ होती है।

बाज़ारों में तो अमीरों की ही भीड़ होती है
राशनों की दुकानों पर हम गरीबों के लिए रोटी होती है।

अमीर अपने घरो को कही रंगो से सजाते हैं
हम गरीब एक-दुजे के हसी से अपने दिन गुजारते है।

कोई कुड़ता तो कोई शेरवानी पहनता है
हम गरीब अपना लिबाज़ सड़को पर ढूँढते है।

अमीरों के घरों में बनते पंच पक्वान हैं
हम गरीबों के घर में सुख़ा कुडादान है।

अरमान अमीरों के पुरे हो जाते है
हम गरीबों के सारे अधूरे रह जाते है।

दिपावली की शुभकामनाऐ

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30 SEP 2020 AT 22:44

हम किस समाज में जी रहे है ,क्या क्या हो रहा है, समाज में आजकल क्यो हमारी बहन-बेटीया सुरक्षित नहीं है क्यो भूल जाते है ,वो हैवान उसे भी किसी स्री ने जन्म दिया है क्यो फ़िर वो किसी स्री के साथ हेवानीयत जैसा जुल्म करते है , और खुले आम समाज में घुमते है, आखिर कब तक ऐसा चलेगा, ये कोई पहीली बार नहीं ऐसे हादसे हमारे देश में बहुत होते है,फिर भी हमारी देश की न्याय व्यवस्था कुछ नहीं कर पाती है ,हमारी न्याय व्यवस्था अपनी आँखे कब खोलेंगी कब इन राक्षसो को उनकी कीये की सज़ा उन्हे मिलेंगी ,वो सुबह कब आयेगी जब हमारी बहन -बेटीया सर उठाये समाज में आझ़ादी के साथ घुमेंगी,हम क्या थे और क्या से क्या होते जा रहे है ,क्या कसुर था उस लडकी का, जो इतनी बड़ी सज़ा उसे भुगतनी पड़ी , हम ऐसे हात पे हात दे बैठेंगे तो कुछ हो नहीं पायेंगा ,समाज में बदलाव लाना है तो हमें कुछ सक्त कदम उठाने पडेंगे ,आज हमने कुछ नहीं कीया तो ऐसे राक्षसों हर दिन पैदा होंगे इनकी मनमानी ओर बढती जायेगी , उन्हे भय नाम से कुछ फरक नहीं पडेंगा, हमें यह नहीं भुलना है, वो किसी और की बेटी थी ,यह सोचकर हमें ख्वामोश नहीं बैठना है की वो हमारी कूछ नही थी,कैसे कोई इतना निचे गिर सकता हैं ,इंन्सान जो इंन्सानीयत का गला घोटकर घिनोना काम करता है ,कुछ राक्षस हमारे संस्कुती और समाज को बदनाम करते है, ऐसे लोगो को रास्ते में लटका कर गोली मार देनी चाहीये ।

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3 AUG 2020 AT 9:42

यादे रक्षाबंदन की,
बहन के राखी के प्यार की,
नयी उम्मीद नयी आशा की,
बहन के जिंदगी भर रक्षा करने की,
उसके सपनो को साकार करने की,
साथ उसके लड़ने झगड़ने की,
रूठ के उसको मनाने की,
दिनभर उसको चिढ़ाने की,
कुछ चीजें उसकी चुराने की,
कुछ मिठाईंया संग उसके खाने की,
जब भी हो जाते असफल,
जाकर उसकी गोदी में सर रख रोने की,
मुझ में हौसला भरने वाली बातें उसकी,
हो अगर कोई त्यौहार,
मेरे लिए पहले खरीददारी करने की आदतें उसकी,
छुपाकर अपने ग़मों को,
सबको हँसना वो सिखाती,
नहीं कोई और वो,
माँ की दूसरी परछाई है वो,
किरदार जो माँ का निभाती,
है अनोखा बंधन ऐ यारो,
सबको मिले बहन का प्यार,
बहन जो खुशियों से घर की झोली है भरती.


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1 AUG 2020 AT 9:40


इन आँखों नें रोज़े रक्खें हैं काफ़ी अर्सों से
'गर दीदार हो जाए आपका तो हम भी ईद मनाले।

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26 JUL 2020 AT 22:16

तेरी यादों के पन्नो को पढ़ रहा हूँ
दुर होकर भी पास तेरे आ रहा हूँ
ये कैसी घड़ी आ गयी है
आरजू है मिलने की फ़िर
भी जुदाई के दर्द में जल रहा हूँ

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26 JUL 2020 AT 13:15

पाहुनी तुझे सुंदर रूप
मन माझे प्रेमानी फुलते

पडताच सुर्याची किरणे
जणु प्रेमाची कळी खुलते

ऐकताच शब्द तुझे कानी
जणु सरस्वती चे स्वर वाटते

लागली सवय माझ्या अंगी
तुझं स्वप्न पाहणं रात्र दिनी

लागली ओढ तुझ्या प्रेमाची
ह्रदयात झालं प्रिती च पाणी पाणी

एकांतात बोलतो तुझ्याशी
जपुन आहेत तुझ्या आठवणी

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24 JUL 2020 AT 14:00

कभी मेरा हाल
पुछ लिया करो।
कभी गुफ्त़गू
हम से कर लिया करो।
कभी रहे हम ख़ामोश
तो वजह पुछ लिया करो।
कभी कुछ सवाल
हमसे भी कर लिया करो।
कभी हो जाए देर
मेरा इंतजार भी कर लिया करो।
कभी आये ना मेरी कोई ख़बर
तो याद कर लिया करो।
कभी हो जाए अनजाने में हम से कोई भुल
तो सारे गिले शिकवे भुला दिया करो।
कभी मेरा हाल भी
पुछ लिया करो।

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7 JUL 2020 AT 10:00

Jab aati ahi aapki yaad
to tasvir dekh leta hoon
Hoti nahi hai jab aapse baat to
Ghazal aapki padh leta hoon
Aawo gi milne mujhse bhi
tum ek din Uss intjar me
khud me hi khoya rahta hoon

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