जीवन में कुछ पाने में दिक्कत आ रही है तो तरीके बदलना श्रेयस्कर है, इरादे से डिगना उचित नहीं
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आत्म प्रशंसा सुनना इंसान की कमजोरी है। कई बार झूठे प्रशंसक इसी माध्यम से अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं। अचानक आपके सामने आया कोई अनजान व्यक्ति प्रशंसा के सेतु बना रहा है तो सावधान हो जाएं।
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हर इंसान में कमियाँ हैं तो अच्छाइयाँ भी हैं। जिस दिन हम सतर्क दृष्टि से दूसरों में अच्छाई देखने लगेंगे, जीवन सरल हो जाएगा। सकरात्मक माहौल बनेगा। सब अच्छा होगा।
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एक ही इंसान के चेहरे पर अनेक नकाब चढ़ी हुई है, यह कई बार दिख जाती है, अनेक बार नहीं दिखती।
परिणाम-धोखा, फरेब
सावधानी ही बचाव है।
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प्यार के दो बोल भी
क्या कमाल दिखाते हैं ?
सीधे दिल में उतरते हैं
और चेहरे खिल जाते हैं।
यह शुरुआत घर से हो, मोहल्ले, दफ्तर से हो फिर परिणाम बहुत बढ़िया आते हैं। चाहे आजमा लो
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हवा जब फूलों से गुजरती है तो खुशबू दूर तक ले जाती है। इसी तरह अच्छे लोगों की संगत हमें नेक इंसान बनाती है और हमारे सद्कर्मों की खुशबू सुदूर तक बिखर जाती है।
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धैर्य बड़े से बड़े संकट को टाल सकता है, पर क्षण भर अधीर होने पर पूरी जिंदगी तबाह हो सकती है।
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यूँ तो दुआओं का कोई रंग नहीं होता पर जब ये रंग लाती हैं तो जिन्दगी रंगों से भर जाती है।
दुआएँ लेते-देते रहें। एक पैसा नहीं लगेगा लेकिन खुशियाँ अपार मिलेंगी।
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केवल पैसा ही नहीं, मान-सम्मान, रिश्ते और सबक भी कमाई के ही रूप-स्वरूप हैं।
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समय की कीमत बीतने के बाद और रिश्तों की कीमत व्यक्ति के खोने के बाद समझ आ जाती है। तब पश्चाताप करने का भी कोई फ़ायदा नहीं होता।
रिश्तों को संजोकर रखें और समय पर जागरूक रहें। फायदा ही फायदा होगा
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