Dinesh Pareek   (दिनेश पारीक)
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Author , writer ,poet
Joined 14 November 2016


Author , writer ,poet
Joined 14 November 2016
4 DEC 2016 AT 9:14

खुद को तुमपे
समूचा 'खर्च' कर
देने का मन है.
तुम हो
कि..दिन ब दिन
कीमती होते जाते हो.
डरता हूँ कहीं
'कम' न पड़ जाऊँ मैं.

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13 MAR 2021 AT 18:47

तुम्हारा 'अनाधिकृत'
कब्ज़ा है मुझ पे,
और..तुम हो
कि..इसे मानती नहीं.
कब्ज़े के इस विवाद पर
एक 'शिखर-वार्ता'
तय हुई है..हमारे बीच.
मेरी ओर से #दिल
होगा..मेरा प्रतिनिधि,
और..देखना तुम
इसमें #दिमाग को
न भेज देना..गलती से.
दोनों का #ओहदा समान हो
हम ये सुनिश्चित करें.

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18 SEP 2020 AT 9:58

लड़कियां ब्याही जाती है
सरकारी मुलाज़िमों से
ज़मीनों से दुकानों से,

बस वो ब्याही नहीं जाती तो
सिर्फ अपने प्रेमियों से..।

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6 SEP 2020 AT 10:28

मेरी बातों में
अब तुम नहीं थे
पर मेरे
मौन के अनुच्छेद की
अंतिम पंक्ति के
पूर्ण विराम तुम ही थे।

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10 AUG 2020 AT 7:39

तुम्हारे पास तुम खुद नहीं हो और तुम मुझे एक संसार देना चाहते हो? तुम्हें एक संसार देने का ऋण मुझ पर था।

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13 MAR 2020 AT 16:43

Love will be made before God is created ... that's why God also loved ... Listen, love is the first God of this world ...

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13 MAR 2020 AT 16:34

When the boats .. fell in love with the sea .. they considered sinking .. swimming boats floated throughout the life .. unilateral love ...

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12 NOV 2019 AT 10:08

काश इश्क़ भी
Corporate
संस्था जैसी
कोई चीज़ होती,तो..
Performance-wise
इसमें भी
Automatic
तरक्कियाँ होती रहतीं.😀

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12 NOV 2019 AT 9:35

"चश्मा कबसे लगा लिया?"
"दो-ढाई साल हो गए है!"
"अच्छा लगता है, समझदार लगती हो!"
"चश्मा तो पहले भी लगती थी पहले समझदार नहीं लगती थी?"
"नहीं, लगती थी! अब ज्यादा लगती हो"
ओर ये ब्लू फ्रेम वाले चश्मे में तुम खूबसूरत बहुत लग रही हो
दिनेश पारीक

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11 NOV 2019 AT 18:13



इंसान रोता उसके लिए नही जो कभी अपना था ही नही
वो रोता उसके लिए
जो अपना होकर भी अपना नही हो पाया


~~सोनल सोनी ~~

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