गज़ल:- खुमारी के बगीचे में
नज़ारा देखकर जब जब ज़वानी मुस्कराती है।
मुहब्बत में हृदय के तार तब तब छेड़ जाती है॥
खुमारी के बगीचे में उड़े जब फूल की खुशबू।
हवा तब इश्क की बातें इशारों में बताती है॥
कभी जब डूबना चाहा मुहब्बत की किताबों में।
तभी तन्हाइयों में आशिकी की याद आती है॥
सुहाने दौर की बातें कभी जब याद करता हूं।
तुम्हारे साथ बीते पल की खुशबू दिल जलाती है॥
इशारों ही इशारों में हुआ करती थी सब बातें।
कभी जब आंख को मूंदू नजारा सब दिखाती है॥
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