Dinesh Kushbhuvanpuri   (दिनेश कुशभुवनपुरी)
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बीज व्यवसायी व कवि गीतकार एवं स्वतंत्र लेखन
Joined 22 February 2020


बीज व्यवसायी व कवि गीतकार एवं स्वतंत्र लेखन
Joined 22 February 2020
26 APR AT 19:00

कठिनाई से जो लड़ जाए  उसको सकता कौन हिला।
जिसके अंतस शुद्ध भाव हो  उसका ही संसार खिला।
पंथ दिखाकर सकल जगत को करे धर्म का कर्म वही।
"गागर" में सागर  भरने  को  जिन्हें ज्ञान भंडार मिला॥

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23 APR AT 23:22

कल्पनाओं के शहर में घर बनाता आदमी।
मौत से भयभीत होकर डर बनाता आदमी॥

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19 APR AT 20:52

गज़ल:- खुमारी के बगीचे में
नज़ारा देखकर जब जब ज़वानी मुस्कराती है।
मुहब्बत में हृदय के तार तब तब छेड़ जाती है॥

खुमारी के बगीचे में उड़े जब फूल की खुशबू।
हवा तब इश्क की बातें इशारों में बताती है॥

कभी जब डूबना चाहा मुहब्बत की किताबों में।
तभी तन्हाइयों में आशिकी की याद आती है॥

सुहाने दौर की बातें कभी जब याद करता हूं।
तुम्हारे साथ बीते पल की खुशबू दिल जलाती है॥

इशारों ही इशारों में हुआ करती थी सब बातें।
कभी जब आंख को मूंदू नजारा सब दिखाती है॥

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18 APR AT 20:48

आहोें की पगडंडियां, पांव रहे हैं कांप।
उर के सपनो में पलें, मार कुंडली सांप॥

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17 APR AT 11:21

आप सभी को श्रीराम नवमी की हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएं

चैत्र  नवमी   शुक्ल   पक्षे  आगमन   श्री  राम  का।
जोरि कर करिए नमन मिलकर उन्हीं सुखधाम का।
पुत्र   पितु  भ्राता  सखा  पति  राम  जैसा  कौन है।
जिंदगी  जाए  सँवर  जो  जप  करें  प्रभु  नाम का॥

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31 JAN AT 14:57

दोहा

शब्द भ्रमण करते फिरें, अक्षर देते ज्ञान।
भावों की बेचैनियाँ, करते अर्थ बखान॥

Dinesh Pandey

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31 JAN AT 10:14

बैठ कुहासे में पवन, पिये ओस की सूप।
सर्दी के आगोश में, सिसक रही है धूप॥

Dinesh Pandey

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31 OCT 2023 AT 21:05

शब्दों के संसार में, भावों का मकरंद।
कविताओं के गाँव में, करे बसेरा छंद॥

Dinesh Pandey

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15 OCT 2023 AT 17:39

भावों की बेचैनियां, पीटें बैठ लकीर।
असमंजस के गांव में, बिलख रही है पीर॥

Dinesh Pandey

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14 OCT 2023 AT 16:20

शब्दों के बाजार में, होते भाव विलीन।
काम क्रोध मद लोभ में, रिश्ते होते दीन॥

दिनेश पाण्डेय

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