मैंने बुझी मशाल को फिर से जलते देखा है!
मैंने गिर चुके जो उन्हें उठ चलते देखा है।-
𝔼𝕜 𝕞𝕚𝕥𝕣 𝕜𝕚 𝕥𝕒𝕝𝕒𝕒𝕤𝕙 𝕞𝕖,
𝕗𝕒𝕧. 𝕃... read more
मैं ठहरा हूँ यहां अभी, सो ठहर जाना यारों,
कल तो झोंके की तरह, सबने निकल ही जाना है।
अभी हूँ सामने सबके, तो भर लो ना मुट्ठी में,
कल तो रेत की तरह, सबने फिसल ही जाना है।
गीले शिकवे मेरे भुला सको को भूल जाना यारों,
ये तो वक़्त है कटता हुआ, सबने गुज़र ही जाना है।
बातें अधूरी रह गई है, तो रख लेते है आधी ही,
पूरी करने उन बातों को, सबने ख्वाबों में जो आना है।
अफसोस न करना यारों, बिछड़ भी जाए अगर,
मैं तो नशा हूँ रात का, सुबह तक तो उतर ही जाना है।-
तू है एक चांद का टुकड़ा, कुछ बातों से है उखड़ा उखड़ा।
ख़ुद में ही तू डूबा रेहता, गुस्सा हमेसा नाक पे रहता,
फिर भी तू ही अच्छा लगता।
बात करो तो कुछ नहीं कहता, नज़रों से तू बातें करता।
मुलाकात तो रोज़ हैं करता, फिर भी बात कहता तू करता।
बड़ा शहर की खिड़की से तू, ख़ुद को ही चांद में ढूंढे,
ऐसा है तू चांद का टुकड़ा।-
एक शाम लिखूं ,सरेआम लिखूं ,क्या क्या में तेरे नाम लिखूं ।
तुझे रात लिखूं ,या चांद लिखूं ,क्या क्या में तेरे नाम लिखूं ।
तुझे दिल लिखूं ,या जां लिखूं ,क्या क्या में तेरे नाम लिखूं ।
चुरा के मेहताब से उसका नूर में तेरे नाम लिखूं ।-
थोड़े से मौन और कुछ संवादों के बीच,
सहेज कर रखूंगा मै तुम्हारी यादों को।
यादें जिन्हें बीत जाना चाहिए वक्त के साथ,
पर देखो वो और भी ज्यादा सजीव हो रही हैं।
पता है जब भी तुम्हे याद करूंगा,
तब मैं उदास नहीं होऊंगा बस मुस्कुरा दूंगा।
मुझे यकीन है मेरा ईश्वर हमेशा तुम्हें खुश रखेगा,
और मुझे तुम्हारे करीब, बस इतना काफी है ।-
शाम ढली, रात हुई, बात हुई, पूरी रात हुई।
कुछ ख़ास हुई, कुछ बकवास हुई,
पर हां! आज उनसे से बात हुई।-
यूं तो लिखने को है बहुत कुछ मगर
तुम बिन लफ्ज़ों में असर नहीं आता।-
गुज़र गई ना जाने कितनी रुत-ए-बीते हज़ार मोसम मगर,
दिल को उस के बिछड़ने का रंज-ओ-मलाल अब भी है।-
अजब ढंग से जी रहे हैं,
ज़िंदगी आज कल।
दिन गुज़ार देते है दुनियां दारी में,
रातें कट जाती है दिल से राज़-दारी में।-
मैं जैसे कोई दूर तन्हा सा पेड़ हूं जहां,
पंछी आते है, रुकते है और उड़ जाते है।-