रंग-ए-जमाल ही काफी है रचने को मेरे यार ,
तुम बे-सबब साजिश रचा बैठे ,
भूल सकता था जो गम मुझे गले लगा कर ,
उसका क्यों ताबीज बना बैठे....
-
यूं खफा ना हो अंदाज-ए-गुफ़्तगू देख मेरा,
गज़ल सा हूँ जिंदगी गौर फरमाती है,
रूबरू होने दे कलम को तेरी जुस्तजू में ,
ग़ालिब का दिल है जनाब धड़कनें शोर मचाती है...
-
वक्त-ए-विदा लोगे ग़र अंजाम से,
तो महफ़िल मे किस्से क्या सुनायेंगें,
यूँ मायूस ना हो देख इस ज़माने को,
आयी है मुश्किल तो हिस्से मे श्री कृष्ण भी आयेंगे...
-
हौसलों को बुलंद कर , इरादों मे जान डाल ,
बोलने दे जमाने को तू जिंदगी में शमशीर बन ,
आने दे चुनौतियों को , उठने दे तूफानों को,
साध निशाना तेरी मंजिल को ऐसा अर्जुन का तीर बन...
-
कुछ तो बात है बारिश तेरी कुर्बत में ,
वरना बेवजह बादल जमीं पर ना बरसता ,
कुछ तो बात है तस्वीर-ए-जाँ तेरी सोहबत में,
वरना बेवजह दिल किसी गैर के लिए ना धड़कता ,
कुछ तो बात है हसरत-ए-दिल तेरी मोहब्बत मे ,
वरना बेवजह कृष्ण, राधा के लिए ना तरसता...
-
बार-बार गोली खाकर खड़ा हो उठता है ,
हिंदुस्तान का कोई जवान लगता है ,
कफ़न में लिपट कर भी सजदा हो उठता है ,
वतन के तिरंगे की शान लगता है ,
जिसके लहू का कतरा कतरा सलाम कर रहा इस मिट्टी को ,
हिंदुस्तान का कोई किसान लगता है....
-
मैं अनजान था खुद से इस कद़र ,
होने से तेरे मैंने खुद को जान लिया ,
बात करते हो तुम खुदा से मांगने की ,
हमने तुम्हें ही खुदा मान लिया...
-
फ़क़त बेटी होने से दहलीज़ गुलज़ार नहीं होती ,
पैरों की जंजीरों में पायल की झंकार नहीं होती ,
मंजिल-ए-अरमां गुलाम है इस कदर ,
हाथों की लकीरों में सपनों की पुकार नहीं होती...
-
ख़त के जमाने थे नवाबों सा प्यार था ,
छत पर ठिकाने थे किताबों में इज़हार था ,
इश्क़ अधूरा भी मुकम्मल था कभी ,
वक्त के निशाने थे जवाबों का इंतजार था...
-
मेरे गजलों की गिर्दाब कभी भुलाना मत,
जलने देना शमां मेरी मोहब्बत का बेवज़ह बुझाना मत,
हंसकर गुलज़ार करना मेरी जमीं को रोकर फूलों से सजाना मत,
सुनाते रहना किस्से अपनी गलियों के यूँ गम में उठाना मत,
बरकरार रहे काफिला अपनी यारी का बस इशारों में बताना मत,
हाथों में हाथ डाले रखना ए दोस्त अकेले मुझे जलाना मत....
-