दिनेश   (कलम ए अल्फाज़ 🖋️)
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Dunia ki bheed se alag
Joined 20 May 2021


Dunia ki bheed se alag
Joined 20 May 2021
9 JUN 2022 AT 22:07

निरंतर बढ़ रही इस उम्र में
आज कुछ पल मैं यूं ठहर गया,
नदियों का मानो बहता पानी
समुंदर में जाके रह गया,
हां उम्र तो लगातार बढ़ रही है पर
कमबख्त दिल बच्चा ही रह गया।

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8 MAR 2022 AT 21:50

जरूरी नहीं है कुछ पुराना छोड़ना...
जरूरी है..
कुछ नया करना।

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29 NOV 2021 AT 20:45

तबाह कर गया कच्छी उम्र में मेरी जिंदगी....
ऐ इश्क तू इतना बेरहम क्यों है..!!

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5 SEP 2021 AT 20:25

Khamoshiyaan

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3 SEP 2021 AT 8:20

मुझे मजबूर करती हैं यादें तुम्हारी....
वरना अब मुझे शायरी लिखना अच्छा नहीं लगता..!!

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31 AUG 2021 AT 10:31

मैं अब तुम्हें याद नहीं करता...
क्योंकि अब तुम याद हो गयी हो..!!

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12 AUG 2021 AT 17:09

अपना आंकलन कभी स्वयं कीजिए,
खूबियां भी नजर आएंगी और कमियां भी।

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27 JUL 2021 AT 8:47

संघर्ष से मत डरो
क्योंकि ये, वो कहानी है
जो सफल होने के बाद
लोगो को बतानी है।

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25 JUL 2021 AT 6:05

बस बात ही तो नही होती हमारी...
खयालों मैं तो वो आज भी मेरे साथ है।

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21 JUL 2021 AT 23:09

कभी मैं पूछता हूं अंधेरे से...
तुझे रोशनी दूं या तनहा छोड़ दूं।

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