Dinesh Bochawat   (उच्छिष्ट)
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Joined 28 June 2020


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Joined 28 June 2020
5 JAN 2024 AT 22:17

Population is an uncontrolled chain reaction which is controlled by philosophers, few books, disaster, religion, politians, technology etc.

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4 JAN 2024 AT 5:40

जीवन को समय के तराजू में
मापतौल के जिया जा रहा है।

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3 JAN 2024 AT 5:58

झूठ की विशाल दीवार को,
सत्य की मात्र एक ईंट गिरा सकती है।

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9 JUN 2022 AT 9:40

उड़ने दो इन पंछियों को भी,
जिनके अभी-अभी पर निकले है।
क्या पता शायद ये एक दिन,
आपसे ज्यादा आकाश नाप ले।।

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8 JUN 2022 AT 15:51

परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी होने मत दो,
बल्की स्वयं उन परिस्थितियों पर हावी हो जाओ।
ताकि हर विकट परिस्थिति में शांत रह सको
तथा सही मार्ग की खोज कर सको।
(विकट परिस्थितियों पर हावी होने का मेरा यह मत
नहीं है कि आपके सामने शेर हो और आप उस पर
हावी पड़ोगे।)

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7 JUN 2022 AT 8:38

So here
no end of
experiences.
(Like no end of universe)

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30 SEP 2021 AT 14:15

सभी प्राणियों के लिए अतिआवश्यक तत्व-
1. अन्न
2. जल
3. प्राणवायु
4. उत्सर्ग
5. बुद्धि(ज्ञान)

उपर्युक्त 1-4 तत्व मनुष्य सहित सभी जीवों को प्रदत्त है, केवल 5वाँ तत्व ही मनुष्य को बाकी से अलग करता है।

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30 SEP 2021 AT 2:06

जीवनरूपी सागर को तैरकर पार करना ही कर्म है,
तथा निरंतर इसकी गहराइयों में डूबना ही है मोह।

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22 SEP 2021 AT 13:24

अपने सभी पुत्रों को अयोग्य मान,
अन्य योग्य को गोद लेकर,
अपनी सम्पूर्ण सत्ता का हस्तान्तरण करने वाले
हस्तिनापुर नरेश 'भरत' जिन्होनें जन्म के बजाय कर्म की श्रेष्ठता का अद्भुत उदाहरण दिया था। उन्हीं के वंशज हम भारतीय आज कर्म के बजाय जन्म की श्रेष्ठता को आगे बढ़ा रहे हैं।
इसलिए ही योग्य अभ्यर्थियों के लिए पात्रता परिक्षाओं का आयोजन किया जाने लगा है अर्थात् फिर से कर्म की प्रधानता की ओर अग्रसर समाज।

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16 SEP 2021 AT 23:24

प्रेम

क्या प्रेम सिर्फ सजीवों तक ही सीमित है?
ज़रा सोचे...
जहाँ राग/द्वेष, नफरत आदि भले ही
क्यों नहीं हो, प्रेम विद्यमान रहता ही है।
बाकी सब मानवीय कल्पनाएँ है।

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