Dimple Sharma   (DimpleSharma✒)
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Joined 21 May 2018


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Joined 21 May 2018
18 JAN 2022 AT 10:20

वो जो ख़ामोश लब हैं उनकी खातिर
मुझे आँखों की भाषा सीखनी है

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17 JAN 2022 AT 16:22

इक झलक देखी थी उनकी महफ़िल में फिर
रात ख़्वाबों में क्या क्या हुआ क्या कहें

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4 JAN 2022 AT 8:14

चिता पे हमारी हमें ग़म न होता
कहीं कोई पौधा जो हम भी लगाते

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17 DEC 2021 AT 12:32

मुहब्बत हो गर फिर ऐसा करो कुछ
बदल जाए दुनिया कि हिल जाए दुनिया

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16 DEC 2021 AT 16:12

फ़ासले कम करने से पहले समझ लो
ख़ामियाँ हैं हममें औरों से ज़ियादा

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15 DEC 2021 AT 10:42

नाम लिखने की जगह लिख दो मुहब्बत
वो मेरा लिक्खा हुआ पहचानती है

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10 DEC 2021 AT 12:37

लहजे में चाशनी थी आँखों में फिक्र भी थी
ऐसे मुसाफिरों से धोखा तो लाज़मी था

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7 DEC 2021 AT 11:53

जिसे ख़ुद का साया बहुत है
उसे कोई तन्हा करे क्या

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6 DEC 2021 AT 15:29

अजूबा देखने को दिल किया जो
सजालेगें ज़मीं पर आसमां को
उतारेंगे ज़मीं पे चाँद ओ सूरज
सुनो फिर रात दिन इक साथ होंगे
मेरी मर्ज़ी से सूरज जाएगा घर
मेरी मर्ज़ी क़मर को छूट्टी दे दूं
समय को बेड़ियां पहना के कह दूं
कभी फुर्सत हुई तो बात होगी
कहीं कोई नहीं हो रोकने को
कभी दर्पण कभी फिर खुद को देखूं

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25 NOV 2021 AT 17:42

देख लेते हैं क़मर इक ही समय पे
हिज्र में क्यूं दूरियां मिटती नहीं पर

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