Mar kar bhi na sukun mila mujhe
Akhri didar ki jo hasrat reh gai thi-
किस तरह से कह दूं की थक गया हु मै
न जाने किस किस का हौसला हु मै-
मै यू ही बहुत दूर तक चला जाता हु किसी की यादों मै
बस वख्त गुजर जाता है झूठे मोहब्बत के अफसानों मै
वो भूल कर भी भूल नही करते मुझको याद करने की
और मैं खोया रखता हु उनकी झुठी फरेबी दस्तानों मै-
वो गुलामी की जंजीरे थी तेरी मोहब्बत की यादें
जहरीले तेरे बोल थे झूठे थे तेरे कसमें वादे-
वो रास्ते ही बदल दिए हमने जिनपर उनका गुजर था
दगा देने मै वो माहिर निकले जो जिंदगी का हमसफर था-
फना यू हमने उनके लिए अपनी जिंदगी कर ली
उस बेवफा ने मगर किसी और से मोहब्बत कर ली-
कत्ल ओ गारत का दौर हे साहब किसको बचाए
अपनी जिंदगी के लाले है दूसरो को केसे बचाए-
वो शायद मेरे अल्फाजों को समझ ही नही पाए
कितने मासूम थे वो जो बिन बात के मुस्कुराए-
तकदीर पर किसी का कभी का ज़ोर नहीं होता
जो हमकदम होता है सच्चा वो कभी ओर नहीं होता-
उसका मुस्कुराना गजब था एक नशा था उसकी आंखो मै
वो लूट कर हमको चले गए हम मदहोश रहे उनकी बातो मै-