Dilshad Alam  
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Joined 29 March 2018


Joined 29 March 2018
7 NOV 2022 AT 12:54

आग फैली है सियासत के शहर में
जलने को सारा जहाँ बाकी है

वह बच जा रहे है जिसने आग जलाएं है
इस दौर में आग बुझाने वाले ही पापी कहलाएंगे

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6 NOV 2022 AT 18:07

फकत इतनी तू खुद पर कवायद कर
इल्म नही इश्क़ की तुझे तो रहने दे
पर यू इस तहर न सियासत कर

बेरुखी है वो तो उसे रहने दें
बेफजूल तू न उससे चाहत कर

मिलकर कर तू उससे V Bazaar मे घुमाया कर
पर धयान रहे कुछ न उसे दिलाया कर

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28 OCT 2022 AT 10:48

हमारे साहिबगंज की इस्तिथि बत से बत्तर है
लोग उधार लेते हैं 100 और कहते हैं बाकी सिर्फ 70 हैं

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28 OCT 2022 AT 10:23

गरीबों की बस्ती में ठंड बड़ी जोरो की पड़ती है साहेब
बस पेट की आग उन्हें बचाए रखती है

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21 OCT 2022 AT 20:54

बचपन जवानी बुढ़ापा सब आयेगा
तकलीफ तब होगी जब बुरा दौर आयेगा

ऐ बुढ़ापे तूने एक पहलवान को
ये क्या से क्या बना दिया

पहले काँधे झुके फिर कमर झुकी
फिर सर भी झुका दिया

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29 JUL 2022 AT 19:40

आज भी तेरी घड़ी
हाथो को करे तंग है
इस हाथ में पहनो या उस हाथ में
इस बात का जंग है

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29 JUL 2022 AT 19:24

मोहब्बत में वह रुस्वाई लिखती हैं
इश्क़ मे बिमार हूँ और वह कम्बख्त दवाई लिखती हैं

मैंने आज फाटक के पास किसी और के साथ देखा उसे
मैंने पूछा कौन था वो दीवाना उसे अपना भाई लिखती हैं

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26 JUL 2022 AT 23:25

कौन कहता है के वह पनघट सिर्फ तुम्हारा है
हमने भी नमाज़ अदा की है गंगा में वज़ू करके

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26 JUL 2022 AT 23:06

उजड़े हुवे चमन मे चरचराते पतझड़ मे यादों के शज़र लगा रहा हूँ पहन कर लिबास मुफलिसी का शहज़ादा नज़र आ रहा हूँ

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26 JUL 2022 AT 22:52

कभी मेरे पास आ कर मुस्कुराया करो
लगे जो हँसी तो खिलखिलाया करो

हो शीशे का दिल तो सम्हाल कर रख
यु आप पत्थर से दिल लगाया ना करो

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